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भारत में किसके पास है परमाणु बम का रिमोट कंट्रोल? जानिए


परमाणु हथियारों को लेकर आम लोगों के मन में अक्सर कई सवाल होते हैं. सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि भारत में इन हथियारों पर असली नियंत्रण किसका है. क्या प्रधानमंत्री चाहें तो अकेले ही परमाणु हमला करने का आदेश दे सकते हैं या फिर इसके लिए कोई तय प्रक्रिया और नियम होते हैं. इन सवालों के जवाब समझने के लिए भारत की परमाणु नीति और कमांड सिस्टम को जानना जरूरी है.

रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिनके पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन भारत ने हमेशा यह साफ किया है कि ये हथियार आक्रामकता के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा के लिए हैं. भारत का मानना है कि परमाणु शक्ति डर पैदा करने के लिए नहीं, बल्कि शांति बनाए रखने के लिए होनी चाहिए. इसी सोच के कारण भारत ने अपनी परमाणु नीति को काफी संतुलित और जिम्मेदार बनाया है. भारत के पास कुल 180 परमाणु हथियार है.

भारत की सबसे अहम परमाणु नीति है नो फर्स्ट यूज. इसका सीधा मतलब यह है कि भारत कभी भी किसी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. जब तक भारत पर परमाणु हमला नहीं होता, तब तक वह इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा. इस नीति के जरिए भारत दुनिया को यह संदेश देता है कि उसकी ताकत रक्षा के लिए है, न कि विनाश के लिए.

फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता है कि किसी कमरे में बैठा नेता एक बटन दबाता है और परमाणु हमला हो जाता है. हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. असल जिंदगी में परमाणु हथियार लॉन्च करना बेहद जटिल और लंबी प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया में कई स्तर की जांच, पुष्टि और अनुमति शामिल होती है. एक व्यक्ति या एक आदेश से ऐसा कुछ भी नहीं होता.

भारत में परमाणु हथियारों से जुड़ा हर फैसला न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के तहत लिया जाता है. यह देश की सर्वोच्च संस्था है, जो परमाणु नीति और हथियारों के इस्तेमाल पर फैसला करती है. इस अथॉरिटी के दो मुख्य हिस्से होते हैं. पहला हिस्सा राजनीतिक परिषद होता है, जिसके अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री होते हैं. यह परिषद राजनीतिक स्तर पर अंतिम मंजूरी देती है. दूसरा हिस्सा कार्यकारी परिषद होती है, जिसकी अगुवाई राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं. यह परिषद तकनीकी, सैन्य और रणनीतिक पहलुओं को देखती है. दोनों स्तरों की सहमति और तय प्रक्रिया के बिना परमाणु हथियारों का इस्तेमाल संभव नहीं है.

प्रधानमंत्री भारत सरकार के प्रमुख जरूर हैं, लेकिन परमाणु हथियारों के मामले में वे अकेले फैसला नहीं कर सकते. उन्हें न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी की पूरी व्यवस्था और संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना होता है. यह सिस्टम जानबूझकर ऐसा बनाया गया है ताकि किसी भी हाल में जल्दबाजी, भावनात्मक या एकतरफा फैसला न लिया जा सके.

भारत की परमाणु नीति इसलिए खास मानी जाती है क्योंकि इसमें शक्ति के साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी हुई है. पहले हमला न करने की नीति, सामूहिक निर्णय प्रणाली और मजबूत कमांड स्ट्रक्चर भारत को एक भरोसेमंद परमाणु राष्ट्र बनाते हैं. यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को एक संतुलित और जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में देखा जाता है, जो ताकत का इस्तेमाल आखिरी विकल्प के तौर पर ही करता है.

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