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न हो कंफ्यूज, इस दिन मनाई जाएगी गुरु नानक देव जी की जयंती, यहां जानिए प्रकाश पर्व की तिथि


सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जन्म जयंती कार्तिक पूर्णिमा तिथि को पड़ती है। यह दिन सिख समुदाय के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। ऐसे में देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे सिख समुदाय द्वारा उनका जन्मोत्सव पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा को आती है और इसे प्रकाश पर्व कहा जाता है। इस अवसर पर गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन, लंगर और प्रभात फेरियों का आयोजन होता है। गुरु नानक देव जी ने समानता, प्रेम और सेवा का संदेश दिया था। उनके उपदेश आज भी समाज को मानवता का मार्ग दिखाते हैं। चलिए जानते हैं इस साल प्रकाश पर्व कब मनाया जाएगा और इसका धार्मिक महत्व क्या है।

गुरु नानक जयंती 2025 कब है?

देश-दुनिया के गुरुद्वारों में गुरुनानक जी के जन्मोत्सव की धूम देखते ही बनती है। शाम के समय दीपों की कतार से गुरुद्वारे झिलमिला उठते हैं। कीर्तन से कर्णप्रिय संगीत कानों में गूंजता रहता है। हर साल की तरह इस बार भी गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार जानिए कार्तिक पूर्णिमा कब से कब तक रहेगी।

पूर्णिमा तिथि की शुरुआत: 4 नवंबर रात 10:36 बजे

पूर्णिमा तिथि का समापन: 5 नवंबर शाम 6:48 बजे

कार्तिक पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:46 से 05:37 तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 01:56 से 02:41 तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:40 से 06:05 तक

इन पवित्र मुहूर्तों में गुरु नानक देव जी के नाम का स्मरण और पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है।

कौन थे गुरु नानक देव जी?


गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ईस्वी में ननकाना साहिब में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में स्थित है। जानकारी के मुताबिक गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू चंद और माता का नाम माता तृप्ता था। गुरुनानक जी ने सिख धर्म की स्थापना की और समाज में समानता, दया और सच्चे कर्मों का संदेश दिया।

गुरु नानक जयंती का महत्व

हिंदू धर्म में जिस तरह से दिवाली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। उसी तरह से सिख धर्म में गुरु नानक जयंती को सबसे बड़ा धार्मिक पर्व माना जाता है। इसे प्रकाश पर्व कहा जाता है। क्योंकि इस दिन आध्यात्मिक प्रकाश और ज्ञान का संदेश फैलाया जाता है। लोग नगर कीर्तन, कीर्तन दरबार और लंगर सेवा में भाग लेकर गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद करते हैं।

गुरु नानक देव ने कहा था "सबमें जोत, जोत है सोई, तिस दा चानण सभ में होई।" इसका मतलब है कि हर प्राणी में ईश्वर का अंश है। इस दिन सुबह-सुबह श्रद्धालु प्रभात फेरियों में शामिल होते हैं और गुरुद्वारों में विशेष सजावट की जाती है।

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