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राष्ट्रपति मुर्मू ने विधानसभा के विशेष सत्र का किया उद्घाटन, कहा- युवा ऊर्जा के साथ आगे बढ़े उत्तराखंड


उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर सोमवार को विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र शुरू हुआ. इस ऐतिहासिक सत्र का शुभारंभ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन से हुआ. यह राज्य विधानसभा के इतिहास में दूसरा अवसर रहा, जब किसी राष्ट्रपति ने सदन को संबोधित किया. इससे पहले वर्ष 2015 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विशेष सत्र में अपना अभिभाषण दिया था.

राष्ट्रपति ने विधानसभा में उपस्थित जनप्रतिनिधियों,पूर्व मुख्यमंत्रियों, सांसदों और अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड ने 25 वर्षों की यात्रा में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. उन्होंने कहा कि यह देवभूमि न केवल आध्यात्मिक धरोहर का केंद्र है, बल्कि देश की युवा ऊर्जा और महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी है. मैं चाहती हूं कि युवा ऊर्जा के साथ राज्य आगे बढ़े और नए कीर्तिमान स्थापित करें.

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 2000 में गठित उत्तराखंड राज्य ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. उन्होंने कहा कि राज्य में साक्षरता दर में वृद्धि और महिलाओं की शिक्षा में विस्तार सकारात्मक संकेत हैं. मुर्मू ने सुशीला बलूनी, बछेंद्री पाल और वंदना कटारिया जैसी महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड की बेटियों ने देश का नाम रोशन किया है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को राज्य की पहली महिला अध्यक्ष बनने पर विशेष रूप से बधाई दी.

राष्ट्रपति ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाले उत्तराखंड विधानसभा के निर्णय की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की विधान प्रक्रिया हमेशा सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों पर आधारित रही है. “विधानसभाएं हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली का मुख्य स्तंभ हैं, और विधायकों का जनता से सीधा जुड़ाव ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान से बने इस प्रदेश ने 25 वर्षों में विकास की नई ऊंचाइयां छुई हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और राष्ट्रपति के आशीर्वाद से उत्तराखंड को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार निरंतर प्रयासरत है.

राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि यह विशेष सत्र न केवल बीते 25 वर्षों की उपलब्धियों का मूल्यांकन करेगा, बल्कि आने वाले 25 वर्षों के विकास का रोडमैप भी तय करेगा. उन्होंने कहा कि मातृशक्ति, युवा शक्ति और पूर्व सैनिकों का योगदान उत्तराखंड की प्रगति की आधारशिला है.

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