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गाजीपुरः श्री रूद्रांबिका यज्ञ में श्रीराम कथा श्रवण करने पहुंच रही हैं श्रद्धालुओं की भीड़! यज्ञ का तत्व दर्शन उदारता, पवित्रता, सहकारिता की त्रिवेणी पर केंद्रित है- डॉ धनंजय पांडे


गाजीपुर। जनपद के नौली स्थित गंगाधारा नगरी में चल रहे श्री रूद्राम्बिका महायज्ञ में जनपद के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का जत्था पहुंच रहा है। अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए यज्ञ मंडप की परिक्रमा श्रद्धालु पूरे मनोयोग से कर रहे हैं। इस क्रम में शायंकालीन श्री राम कथा का विस्तृत व मार्मिक वर्णन पंडित विजय कौशिक के मुखारविंद से किया जा रहा है। जिसका श्रवण कर क्षेत्रवासी सहज आध्यात्मिक लाभ ले रहे हैं। महायज्ञ में एक तरफ काशी के महान साधकों द्वारा प्रातः 8रू00 बजे से शाम 5रू00 बजे तक यज्ञ आहूति का कार्यक्रम चल रहा है, तो दूसरी तरफ सायंकालीन 3रू00 बजे से 6रू30 बजे तक श्री राम कथा का आयोजन हो रहा है। यज्ञ के महिमा पर प्रकाश डालते हुए यज्ञाचार्य डॉ पंडित धनंजय पांडे ने कहा है कि यज्ञ का तत्व दर्शन उदारता, पवित्रता, सहकारिता की त्रिवेणी पर केंद्रित है। प्रकिया की दृष्टि से यज्ञ मनोवैज्ञानिक शिक्षक की सशक्त विधि है। जिसके द्वारा परोक्ष किंतु स्थाई प्रभाव मन पर पड़ता है व सुसंस्कारों की प्रतिष्ठापना होती है। दृष्टि खुली रखी जाए तो यज्ञ का प्रत्येक कर्मकांड मनुष्य को उपयोगी प्रेरणा देने में सक्षम है। यह मात्र क्रिया- कृत्य नहीं है, वरन अंतःकरण में श्रेष्ठ संस्कारों की स्थापना की एक सफल मनोवैज्ञानिक विधि है। इस क्रम में शायंकालीन श्रीराम कथा का वर्णन करते हुए संत और असंत के व्यक्तित्व को परिभाषित करते हुए पंडित विजय कौशिक जी ने कहा कि श्संत व्यक्ति सत्संग में परम रुचि रखते हैं और सदैव हितकारी वचन बोलते हैं। ये मान- बड़ाई, भय, ईर्ष्या ,लोभ, मोह, काम-क्रोध, अहंकार से परे होते हैं। जबकि असंत व्यक्ति अनीति को अपनाने वाले क्रूर स्वभाव के होते हैं। ये अपने माता-पिता व पुत्र को मारने में भी संकोच नहीं करते हैंश्। दूर दराज से आए हुए श्रद्धालु देर शाम तक कथा का श्रवण करते हुए आनंद में झूमते रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त ग्राम वासियों का विशेष सहयोग है।

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