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राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची की मांग और आरक्षण! इन मांगों को लेकर लद्दाख में प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा


लद्दाख क्षेत्र में राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची, रोजगार और क्षेत्रीय सुरक्षा की मांगों को लेकर हाल ही में तेज हुए आंदोलनों और हिंसक घटनाओं के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. 24 सितंबर 2025 को लेह में हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गई और 80 से अधिक घायल हुए. इसके बाद प्रशासन ने युवाओं की एक बड़ी संख्या को हिरासत में लिया, जिनमें से 30 को रिहा कर दिया गया है जबकि शेष 40 युवा अभी न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें अदालत के आदेश के अनुसार रिहा किया जाएगा.

लद्दाख के मुख्य सचिव की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि सरकार किसी निर्दोष या भटके हुए युवा को किसी भी मुसीबत में नहीं डालेगी. साथ ही, प्रशासन का साफ कहना है कि कुछ नेताओं ने व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए युवाओं को भड़काया, जिसकी जांच चल रही है. जांच में पुलिस ने दावा किया है कि ऐसी कई साक्ष्य मौजूद हैं, जो इन नेताओं की भूमिका को उजागर करेंगे.

सरकार ने यह भी बताया कि लद्दाख के नेताओं के साथ सकारात्मक बातचीत लगातार चल रही थी. 6 अक्टूबर के लिए उच्चस्तरीय बैठक तय थी, उससे पहले ही 25 और 26 सितंबर को भी बैठकें निर्धारित की गई थीं. इसी बीच, प्रदर्शन की तीव्रता के चलते पिछले दिनों में हिंसा हो गई. इसका मुख्य कारण कुछ नेताओं द्वारा बातचीत की प्रक्रिया को पटरी से उतारना और भूख हड़ताल को जारी रखना बताया गया.

प्रशासन का दावा है कि अगर बातचीत का समर्थन समय रहते किया गया होता तो घटनाएं टाली जा सकती थीं. प्रशासन ने युवाओं के भविष्य को लेकर आरक्षणों में बदलाव की घटनाओं का जिक्र किया. एसटी आरक्षण को 45% से बढ़ाकर 85% किया गया, जिसमें 4% एलएसी आरक्षण तथा 1% एससी के लिए रखा गया. महिलाओं को स्थानीय परिषदों में 1/3 आरक्षण, भोटी व पुर्गी भाषाओं को राजकीय भाषा का दर्जा, और त्वरित भर्ती प्रक्रिया के तहत 1385 नॉन-गजटेड पदों की भर्ती की शुरुआत— जैसे ठोस कदमों का ज़िक्र किया गया है. प्रदर्शन के बाद बने संवेदनशील हालातों के चलते प्रशासन ने शहर में कर्फ्यू लगाया और इंटरनेट सेवाएं भी अस्थाई रूप से बंद की गईं. हालांकि, स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और लद्दाख के उपराज्यपाल ने जल्द ही सभी प्रतिबंधों को हटाने का आश्वासन दिया है.

सरकार ने आरोप लगाया कि कुछ संगठनों की तरफ से ‘जनसंख्या फसलन’, ‘सांस्कृतिक सफाया’ जैसे शब्द गढ़कर भ्रम फैलाया जा रहा है, जबकि ऐसी कोई वास्तविकता नहीं है. सरकार ने साफ किया कि लद्दाख के भू-राजस्व कानूनों को और लोगों के हित में बनाया जा रहा है औऱ स्थानीय परिषदों के अधिकारों में कोई कटौती नहीं होने दी जाएगी. लोकसभा सीट बढ़ाने, सोलर पार्क, औद्योगीकरण, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर भी सरकार का कहना है कि कोई निर्णय स्थानीय समुदाय की सहमति के बिना नहीं होगा और लद्दाख को ‘कार्बन न्यूट्रल’ क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा. प्रशासन ने कहा कि सरकार, खासतौर पर युवाओं की अपेक्षाओं की पूरा करने के लिए जल्द संवाद प्रक्रिया दोबारा शुरू करेगी. सरकार ने लद्दाखियों के भूमि, संसाधन, नौकरियों और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा का आश्वासन दिया.

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