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जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका पर सुनवाई कल


भारत का सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (10 अक्टूबर, 2025) को जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. राज्यसभा और विधानसभा उपचुनावों से पहले होने वाली इस सुनवाई ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है, क्योंकि यह मुद्दा राजनीतिक दलों के शीर्ष एजेंडे में होगा.

ये याचिकाएं भारत के चीफ जस्टिस (CJI) की अदालत में क्रम संख्या 17 पर सूचीबद्ध हैं. अधिवक्ता सोएब कुरैशी ने समाचार एजेंसी 'कश्मीर न्यूज ऑब्जर्वर (KNO)' को बताया, 'यह मामला 10 अक्टूबर को भारत के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.'

उन्होंने कहा कि भारत संघ ने अभी तक इस मामले पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया है. 14 अगस्त को, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जमीनी हालात पर विचार किया जाना चाहिए और पहलगाम हमले जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, 'आपको जमीनी हकीकतों को भी ध्यान में रखना होगा. आप पहलगाम में जो हुआ उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते.'

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में लगातार हो रही देरी संघवाद के सिद्धांत का उल्लंघन करती है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है. उन्होंने यह भी कहा है कि स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित करने या सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2023 के उस निर्देश को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा.

हालांकि अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर कोई याचिका दायर नहीं की है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कई बार संकेत दिया है कि अगर भारत सरकार जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल नहीं करती है तो वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

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