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यूपी सबसे तेज प्रगति करने वाला राज्य-योगी आदित्यनाथ


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को लखनऊ में यूपीएसएससी के जरिए चयनित नए कर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि यूपी सबसे तेज प्रगति करने वाला राज्य है। यूपी को गुंडाराज से मुक्त करने का दावा करते हुए सीएम योगी ने राज्य की छवि बदलने की बात कही। उन्होंने कहा कि आपमें से ज्यादातर नवनियुक्त निदेशक हैं। आज से 8 वर्ष पहले आप लोगों ने इस बात का अनुभव किया होगा उस समय कि उत्तर प्रदेश के साथ दो बातें चस्पा थी। एक उत्तर प्रदेश का कोई नागरिक बाहर जाता था तो उत्तर प्रदेश के सामने पहचान की एक संकट खड़ी होती थी। लोग हेय दृष्टि से देखते थे और दूसरा हमारे ऊपर एक लेबल लगा दिया गया था कि ये बीमारू राज्य है, यानि देश के विकास का बैरियर है।

योगी ने कहा कि इतना बड़ा राज्य, इतना संसाधनों से भरपूर राज्य, प्रकृति और परमात्मा की कृपा वाला राज्य, जिस राज्य में बार बार ईश्वर को भी किसी ना किसी रूप में अवतार लेकर आना पड़ा। ऐसा राज्य और बीमारू हो जाए, पहचान की संकट से गुजर जाए, पर्व और त्योहारों के समय जब उत्साह और उमंग का माहौल जब हर एक चेहरे पर देखना चाहिए। उस समय पर्व और त्योहार की आशंका उनकी जुबान को खामोश कर देती थी। लोगों के मन में एक भय तैरने लगता था कि पता नहीं कब क्या हो जाए। उस राज्य में 8 वर्षों के अंदर 8वीं अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ाते हुए देश की नंबर 2 अर्थव्यवस्था बनाने में सफलता प्राप्त की।

योगी ने कहा कि प्रदेश के अंदर सुरक्षा का जो एक बेहतरीन माहौल पैदा किया गया। दंगा मुक्त, गुंडागर्दी से मुक्त, माफिया मुक्त राज्य की अवधारणा ने उत्तर प्रदेश में बड़े बड़े निवेश को आमंत्रित किया और इसका सबसे ज्यादा लाभ किसी को प्राप्त हुआ है तो व्यावसायिक शिक्षा और उद्यमता कौशल से जुड़े छात्रों को हुआ है। आज से 8 वर्ष से पहले उत्तर प्रदेश के अंदर नए उद्योग तो दूर, जो परंपरागत क्लस्टर था वो भी बंदी के कगार पर थे। आज से 400 वर्ष पहले की बात करेंगे तो उत्तर प्रदेश सबसे समृद्ध राज्यों में था। व्यापक लूट खसोट और अराजकता के बावजूद यानि विदेशी आक्रांताओं के हमले भी हुए, अंग्रेजों ने भी लूटा। उस सब के बावजूद जब ये देश 1947 में स्वतंत्र हुआ था तब भी भारत की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था उत्तर प्रदेश थी।

सीएम योगी ने कहा कि 1960 तक भी भारत की अर्थव्यवस्था में उत्तर प्रदेश का योगदान 14 फीसदी था। 1960 के बाद से गिरावट आनी प्रारंभ हुई। 2016 आते आते उत्तर प्रदेश का जो कंट्रीब्यूशन था वो मात्र 8 फीसदी रह गया था। नंबर 1 से 8 तक पहुंचा दिया था। इन लोगों ने जब नीतियां स्वंय के स्वार्थ को ध्यान में रखकर के वोट बैंक की चिंता कर के और परिवार की हितों का संरक्षण करने के लिए जब बनाई जाती है तो दुर्गति की तरफ ऐसे ही जाती है।

आज कई जगहों पर पूर्णिमा का स्नान हो रहा है। रात्रि में चंद्रगहण भी लगेगा, अभी गणपति महोत्सव हुआ उसी बीच में बारावफात भी आया। कहीं कोई दंगा हुआ क्या, कहीं कोई गुंडागर्दी हुई क्या, लेकिन क्या ये 8 वर्ष पहले संभव था। 8 वर्ष पहले इस तरह के नियुक्तिपत्र वितरण के कार्यक्रम होते थे क्या। करते भी कैसे एक तो भर्ती की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाती थी, क्योंकि हर भर्ती की प्रक्रिया में कोई ना कोई ऐसा लकुना लग जाता था कि उसको न्यायालय के द्वारा रोक लगा दी जाती थी। कमोबेश 2016 के पहले सरकार ने यही स्थिति कर दी थी। उस समय सरकार में बैठे हुए लोगों ने कर दी थी।

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