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संघ का कार्य राजनीति से प्रेरित नहीं- मोहन भागवत


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत का 9 दिवसीय जोधपुर प्रवास मंगलवार (9 सितंबर) को सम्पन्न हो गया. प्रवास के अंतिम दिन डॉ. भागवत सुबह लाल सागर स्थित आदर्श विद्या मंदिर से कड़ी सुरक्षा के बीच सीधे जोधपुर एयरपोर्ट पहुंचे, जहां क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम, प्रचार प्रमुख हरदयाल वर्मा, विधायक अतुल भंसाली सहित संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे. इसके बाद वे इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

डॉ. भागवत के प्रवास के दौरान 5 से 7 सितंबर तक जोधपुर में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों और 32 सहयोगी संगठनों की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में आगामी योजनाओं, संगठन की गतिविधियों और समाज सेवा से जुड़े कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा हुई. विशेष रूप से संघ के शताब्दी वर्ष (2025-26) के अवसर पर देशभर में चलाए जाने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई.

बैठक में शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन, सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के अभियान पर ध्यान केंद्रित किया गया. डॉ. भागवत ने कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग, विशेषकर युवाओं को सकारात्मक दिशा देने के लिए संस्कार आधारित शिक्षा और सामाजिक सहभागिता आवश्यक है.

बैठक में पंजाब, मणिपुर और पश्चिम बंगाल की सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त की गई. संवाद और सहयोग के माध्यम से वहां सामाजिक संतुलन बढ़ाने पर बल दिया गया. साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे पर संघ का स्पष्ट रुख सामने आया. डॉ. भागवत ने कहा कि यह कदम समाज में समानता और न्याय स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर होगा.

डॉ. भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ का कार्य राजनीति से प्रेरित नहीं है, बल्कि समाज को संगठित कर राष्ट्र को मजबूत बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है. उन्होंने युवाओं से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान करते हुए कहा कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार और सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण आवश्यक है.

तीन दिवसीय बैठक में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के कई प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे. जोधपुर से यह बैठक देशभर में संगठनात्मक ऊर्जा का संदेश लेकर गई. नौ दिनों तक चले प्रवास ने संघ के आगामी कार्यक्रमों के लिए नई दिशा निर्धारित की और समाज से जुड़ने के प्रयासों को तेज करने का संकल्प व्यक्त किया. डॉ. भागवत का जोधपुर प्रवास न केवल संगठनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि सामाजिक समरसता और राष्ट्रहित में कार्यरत संगठन की प्रतिबद्धता को भी दर्शाने वाला रहा.

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