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अमेठीः महंगाई डायन खाए जात है! थाली से सब्जियां हो रही गायब, मच रहा हाहाकार


अमेठी। कड़कती धूप और झमाझम बारिश के बीच हरी सब्जियों की आसमान छूती कीमतों ने आम जनता को बेहाल कर दिया है। हर दिन बढ़ते दामों ने रसोई का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है। कभी गरीब और अमीर, दोनों की थाली की शान रही आलू, टमाटर, गोभी और लहसुन अब आमजन की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। जहाँ नया टमाटर 70-80 रुपए, गोभी 80 रुपए और लहसुन 100 रुपए किलो तक पहुंच गया है। अरहर और उर्द की दाल 110-120 रुपए किलो, जबकि खाद्य तेल 150-180 रुपए लीटर तक बिक रहा है। ऐसे में गरीब परिवारों की थाली से सब्जियां और दालें धीरे-धीरे गायब होती जा रही हैं। ग्रहणी  सुमन की मानें तो पहले 200 रुपए की सब्जियां पूरे हफ्ते का खर्च निकाल देती थीं, लेकिन अब 500 रुपए में मुश्किल से तीन दिन की सब्जियां आती हैं। थाली से आलू और टमाटर का स्वाद गायब होते देख महिलाएं आंसू रोक नहीं पा रहीं। लगातार हो रही बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेतों में सब्जियां खराब हो रही हैं और मंडियों तक उनकी सप्लाई कम पहुंच पा रही है। मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ने से सब्जियों के दाम अचानक बेतहाशा बढ़ गए हैं।सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि बारिश की नमी से पालक, भिंडी, लौकी और धनिया जैसी हरी सब्जियां जल्दी खराब हो रही हैं। मंडी में आते ही ये सब्जियां सड़ने लगती हैं, जिससे उनका नुकसान भी बढ़ रहा है और दाम भी।जहाँ पहले रोजाना पर्याप्त मात्रा में सब्जियां मंडी तक पहुंच जाती थीं, वहीं अब कम आवक के कारण उपभोक्ताओं को सब्जियां ऊँचे दामों पर खरीदनी पड़ रही हैं। विक्रेता और ग्राहक दोनों महंगाई की मार झेल रहे हैं। सब्जियों से लेकर दाल, तेल और मसाले तक आसमान छूते दामों ने आमजन की कमर तोड़ दी है। महंगाई की मार झेल रही जनता का कहना है कि अब रसोई संभालना मुश्किल हो गया है। पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों का असर हर चीज पर दिख रहा है। मजबूर गरीब अब नमक-रोटी से ही पेट भरने को विवश हैं।

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