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हिंदू पक्ष से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- संभल शाही जामा मस्जिद पर नहीं लगता प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, किस फैसले में कहा है?


सुप्रीम कोर्ट ने संभल के शाही जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा, तब तक हिंदू याचिकाकर्ताओं से यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा गया है. शुक्रवार (22 अगस्त, 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर यह निर्देश दिया है.

मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने संभल की सिविल कोर्ट की ओर से दिए गए मस्जिद के सर्वेक्षण के आदेश को सही ठहराया था. याचिकाकर्ता का कहना है कि हाईकोर्ट ने परिसर के सर्वे के निचली अदालत के आदेश को सही ठहराया. यह भी कहा कि मस्जिद प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की बात कही. तब तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया. जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की बेंच ने यह आदेश पारित किया.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 मई के फैसले को चुनौती दी है. कमेटी की तरफ से सीनियर एडवोकेट हुफैजा अहमदी ने कहा कि आपत्ति इस बात पर है कि हाईकोर्ट ने कहा है कि मस्जिद प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती है. इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि क्या इस मामले को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर दाखिय अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ा जा सकता है.

जस्टिस नरसिम्हा के सवाल पर प्रतिवादी की ओर से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह मामला प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का नहीं है. उन्होंने कहा कि संभल मस्जिद का संरक्षण आर्कियोलॉजिल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) कर रहा है इसलिए यह इस एक्ट में नहीं आती है.

विष्णु शंकर जैन ने इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के ही आज के एक आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें बेंच ने कहा है कि जिन स्मारकों का संरक्षण एएसआई करता है, वो प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती हैं. इस पर कोर्ट ने उनसे सोमवार की सुनवाई में यह आदेश उनके सामने पेश करने के लिए कहा.



19 मई को हाईकोर्ट ने संभल की सिविल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी थी. सिविल कोर्ट ने 19 नवंबर, 2024 को अपने आदेश में संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने के लिए कहा था.

संभल जामा मस्जिद को लेकर दावा किया गया है कि श्री हरिहर मंदिर को तोड़कर इसका निर्माण किया गया, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद मुगल काल की है. पिछले साल संभल की सिविल कोर्ट ने सर्वे का आदेश भी दिया था, लेकिन जब सर्वे के लिए टीम वहां पहुंची तो पुलिस के साथ स्थानीय लोगों की धक्का-मुक्की हुई. पुलिस पर पथराव किया गया और पुलिस ने स्थिति पर काबू पाने के लिए हवा में फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े. इसके बाद इलाके में तनाव फैल गया था.

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