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बाराबंकी: किसानों के लिए अभिशाप बनी नहर, बहती जमीन टूटती उम्मीदें , बेपरवाह सिंचाई विभाग


मसौली /बाराबंकी। जहां नहरों से सिंचाई कर किसान अपनी फसलें लहलहाने की उम्मीद करते हैं, वहीं मसौली क्षेत्र की शारदा सहायक रजबहा नहर किसानों के लिए कहर बनती जा रही है। सिंचाई विभाग की लापरवाही और बरसात में बढ़ते जलस्तर के चलते यह नहर अब अपनी टेल पर नदी का रूप ले चुकी है। इसके तेज बहाव ने कई किसानों की उपजाऊ जमीन निगल ली है, और अब पक्की सड़कों तक को अपने आगोश में लेने को आतुर है।

17 किमी लंबी यह नहर ग्राम पंचायत नियामतपुर के मजरा बौरकपुरवा में स्थित कल्याणी नदी में जाकर मिलती है। लेकिन टेल पॉइंट से आगे पानी के अनियंत्रित बहाव ने हालात ऐसे बना दिए हैं कि किसानों की जमीनें कटकर नदी में समा रही हैं। महादेव पुत्र मोहन, धीरज पुत्र सुरेश, सुलोचना पत्नी विक्रम यादव जैसे अनेकों किसान आज अपनी आंखों से अपनी जमीन बहते देख चुके हैं  और उनके पास सिर्फ चिंता, आंसू और बेबसी बची है।ग्राम प्रधान संदीप सिंह ने बताया कि नहर की टेल की मरम्मत व सफाई के लिए कई बार लिखित शिकायतें की गईं, लेकिन सिंचाई विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। विभागीय अवर अभियंता सचिन मौर्य ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि टेल वाल्व तक ही विभाग की जिम्मेदारी है, आगे का दायित्व ग्राम पंचायत का है।मगर सवाल यह है कि जब नहर का बहाव ही बेकाबू है, तो प्रशासन और विभाग मिलकर इस आपदा को क्यों नहीं रोक पा रहे? सड़कें कट रही हैं, खेत बह रहे हैं, और किसान अपनी आंखों के सामने जीवन भर की मेहनत मिट्टी में मिलते देख रहे हैं।वर्षों से टेल की सफाई नहीं हुई, और अब वही लापरवाही गांव-गांव तक खतरा बनकर पहुंच चुकी है। ग्रामीणों की चेतावनी है कि अगर शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो जल्द ही गांव की पक्की सड़क भी नहर में समा जाएगी, और तब प्रशासन के पास पछताने के सिवा कुछ नहीं बचेगा।यह हालात सिर्फ एक नहर की कहानी नहीं, बल्कि सरकारी उदासीनता और किसानों की टूटी उम्मीदों की दास्तान है। वक्त रहते अगर कदम नहीं उठाए गए, तो यह गम सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं रहेगा गांव की बुनियादें हिल जाएंगी।

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