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पीएम मोदी ने निकम को मराठी में दी थी सांसद चुने जाने की खबर


जाने-माने वकील उज्ज्वल निकम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद के रूप में मनोनीत किया है। इसकी जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निकम को शनिवार को ही फोन पर दे दी थी। खास बात यह रही कि पीएम मोदी ने निकम से मराठी में बात की, जो उनकी मातृभाषा है। निकम ने बताया कि शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे पीएम मोदी का फोन आया। उन्होंने मराठी में कहा, 'उज्ज्वल जी, राष्ट्रपति महोदया आपको राज्यसभा में भेजना चाहती हैं। क्या आप यह जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे?' निकम ने बताया कि यह खबर सुनकर उन्हें आश्चर्य हुआ, क्योंकि उन्हें ऐसी किसी संभावना का अंदाजा नहीं था।

निकम ने कहा कि पीएम ने उनसे यह बात किसी से बताने को नहीं कहा था, लेकिन घर पहुंचकर उन्होंने यह खुशखबरी अपनी पत्नी ज्योति निकम को बता दी। निकम ने कहा, 'प्रधानमंत्री जी, कृपया मुझे माफ करें।' ज्योति निकम ने इस मनोनयन पर खुशी जताते हुए कहा, 'मुझे बहुत गर्व है कि उज्ज्वल को यह जिम्मेदारी दी गई है। प्रधानमंत्री ने उन पर जो भरोसा जताया है, उसे वे जरूर पूरा करेंगे।' निकम ने बताया कि पीएम मोदी ने उनसे मराठी में बात की। उन्होंने कहा, 'पीएम ने पूछा कि मैं मराठी में बात करूं या हिंदी में। मैं हंसने लगा, वह भी हंसने लगे। मैंने कहा, आपको दोनों भाषाओं पर प्रभु्त्व हासिल है, और दोनों भाषाएं अच्छे से आती हैं।'

निकम ने जोर देकर कहा कि मराठी भाषा को सरकार ने हमेशा सम्मान दिया है और पीएम के मन में इसके प्रति बेहद प्यार है। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा है कि मराठी हमारी अस्मिता है, यह हमारी मातृभाषा है। निकम ने देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में मैं थोड़ी बहुत कन्नड़ और केरल में मलयालम के कुछ वाक्य बोल लेता हूं। उन्होंने कहा, 'हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं और धर्म हैं। हमें एकजुट होकर रहना चाहिए। भारत का लोकतंत्र दुनिया में अनूठा है, और यह कई लोगों को पसंद नहीं आता। हमें यह गर्व करना चाहिए कि हमारी एकता ही हमारी ताकत है।'

उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट केस में विशेष लोक अभियोजक के रूप में अपनी दमदार पैरवी के लिए देशभर में चर्चित हुए थे। वे पहली बार 1993 में मुंबई आए थे, जब तत्कालीन पुलिस आयुक्त एम.एन. सिंह ने उन्हें इस केस के लिए बुलाया था। निकम ने बताया कि उस समय उन्होंने मुंबई के कोर्ट तक नहीं देखे थे। पुलिस ने उन्हें आजाद मैदान के पास एक गेस्ट हाउस में ठहराया था, लेकिन वहां मच्छरों की समस्या के कारण उन्हें फोर्ट के एक अच्छे होटल में शिफ्ट किया गया। 1993 से 2013 तक वे मुंबई में ही रहे और उन्होंने पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को सजा दिलाने समेत कई बड़े मामलों में अपनी सेवाएं दीं।

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