बिहार में बैकडोर एनआरसी लाया जा रहा है, वो असली नागरिकों और वोटरों को भी बाहर कर देगा-असदुद्दीन ओवैसी
July 01, 2025
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में मतदाता पहचान को लेकर हो रही नई प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. ओवैसी ने इसे 'बैकडोर एनआरसी' करार दिया और कहा कि यह आम लोगों, खासकर गरीब, वंचित और अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता साबित करने के चक्कर में फंसा देगा.
ओवैसी ने एक्स पर लिखा, "बिहार में जो बैकडोर एनआरसी लाया जा रहा है, वो असली नागरिकों और वोटरों को भी बाहर कर देगा. चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार के लोगों को और उनके माता-पिता को अपनी जन्म तिथि और जन्म स्थान 11 दस्तावेजों में से किसी एक से साबित करना होगा, लेकिन 2000 में सिर्फ 3.5% लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र था."
दरअसल, चुनाव आयोग ने बिहार में वोटर लिस्ट सुधार अभियान के तहत नागरिकों से उनके जन्म का प्रमाण मांगा है. इसके लिए 11 दस्तावेजों की लिस्ट दी गई है, जिनमें जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल रिकॉर्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि शामिल हैं. इस प्रक्रिया का मकसद वोटर लिस्ट की शुद्धता बढ़ाना बताया गया है, लेकिन ओवैसी का कहना है कि यह एनआरसी की तरह आम नागरिकों को संदिग्ध बना सकती है.
ओवैसी ने कहा कि बिहार जैसे राज्य में आज भी बड़ी आबादी के पास जन्म से जुड़े दस्तावेज नहीं हैं. 2000 तक सिर्फ 3.5% लोगों के पास ही जन्म प्रमाणपत्र था. ऐसे में अगर माता-पिता के जन्म का भी दस्तावेज मांगा जा रहा है, तो यह लाखों लोगों को कानूनी झंझट में फंसा देगा.
ओवैसी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में सियासी तापमान बढ़ा हुआ है और अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव की संभावना है. AIMIM पहले से ही सीमांचल और अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में सक्रिय है और ओवैसी इस मुद्दे को एक राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.