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दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर तिब्बती समुदाय ने मनाया जश्न


आज रविवार (6 जुलाई, 2025) को दलाई लामा का 90वां जन्मदिन है. दिल्ली के मजनू का टीला इलाके की न्यू अरुणा नगर कॉलोनी में दलाई लामा का जन्मदिन बेहद धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. तिब्बत से निर्वासित लोग, जो भारत में आकर बसें है, वे बड़ी संख्या में लोक संगीत और लोक नृत्य के साथ धूमधाम से दलाई लामा का जन्मदिन मना रहें हैं.

दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर इसी कॉलोनी में स्थित LCV स्कूल में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इसके अलावा इस पूरे साल यानी 6 जुलाई, 2025 से लेकर 5 जुलाई, 2026 तक ईयर ऑफ कंपैशन यानी करूणा साल के रूप में मनाया जाएगा. इसके तहत दिल्ली में कई जगहों पर पैनल डिस्कशन और फोटो प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी.

दलाई लामा का 90वें जन्मदिन को लेकर तिब्बती समुदाय के लोगों में काफी ज्यादा हर्ष है, लेकिन अगले दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर कई चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि, तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने स्पष्ट कर दिया कि दलाई लामा की परंपरा जारी रहेगी और उनके बाद उनकी स्थापित संस्था गदेन फोडरंग ट्रस्ट के पास भविष्य के उत्तराधिकारी को चुनने और मान्यता देने का एकमात्र अधिकार रहेगा

तिब्बतियों में इस बात की चिंता जरूर है कि अगर दलाई लामा नहीं रहे तो क्या होगा? दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में भी तिब्बती समुदाय की अच्छी खासी आबादी रहती है. यहां न्यू अरुणा नगर कॉलोनी में करीब 300 तिब्बतियों के घर के हैं, जिनके बाप-दादा 60 के दशक में जारी संघर्ष के बीच तिब्बत को छोड़कर भारत आकर बस गए थे और अब उनकी यादों में तिब्बत और प्रार्थनाओं में भी दलाई लामा बसते हैं.

न्यू अरुणा नगर कॉलोनी के अध्यक्ष न्गोदुप चोपेल ने कहा, “दलाई लामा की वजह से ही हमारा अस्तित्व है और चूंकि दलाई लामा ने ही ये साफ कर दिया कि उनकी संस्था यानी गदेन फोद्रांग ट्रस्ट ही अगले दलाई लामा का चयन करेगा तो फिर चीन या किसी और देश की दखल हमें बर्दाश्त नहीं है.”

वेलफेयर सोसायटी ऑफ सेंट्रल दोखम चुशी गैंगड्रग के अध्यक्ष ड्रुपवैंग ने कहा, “हम लोग चीन के दलाई लामा को नहीं मानेंगे. हमारे दलाई लामा ने संदेश दिया था कि अभी हम 30 और जिंदा रहेंगे उसके बाद हमारे दलाई लामा ही अगला दलाई लामा के बारे में बताएंगे. अगला दलाई लामा शांतिप्रिय देश में जन्म लेगा, लेकिन चीन शांतिप्रिय नहीं है. वो लोग हमारा दलाई लामा को दुश्मन मानते हैं. इस दुनिया में एक ही दलाई लामा हो सकता है, दो नहीं.”

एक ही समय में दो दलाई लामा, जिनमें एक चीन की तरफ से चुने जाने की संभावनाओं के बारे में कहते हुए रीजनल तिब्बत वोमेन एसोसिएशन की अध्यक्ष ताशी लामो ने एबीपी न्यूज से कहा, “अगला दलाई लामा चुनने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ दलाई लामा को ही है और किसी को नहीं. चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी को दलाई लामा के चुनने का कोई अधिकार नहीं है. चीन ने तो बड़ी-बड़ी मोनेस्ट्री को तबाह और बर्बाद कर दिया है और चीन तो धर्म को मानता भी नहीं है, वह नास्तिक हैं. फिर हमारे धर्म में दखल क्यों दे रहें हैं.”

उन्होंने कहा, “अगर चीन अगले दलाई लामा का ऐलान करता है तो वो नकली होगा क्योंकि असली दलाई लामा चुनने का अधिकार सिर्फ गदेन फोद्रांग ट्रस्ट को ही है और उनकी तरफ से जो दलाई लामा चुनने जाएगा, हम उसे ही मानेंगे.”

ताशी ने ये भी कहा कि हालांकि दलाई लामा ने खुद कहा है कि वो 130 साल तक जिंदा रहेंगे और उनके बाद दलाई लामा की आत्मा किस शरीर में जाएगी ये सिर्फ दलाई लामा ही बता सकते हैं.”

इसी कॉलोनी में एक निवासी तेनजिंग सुंदू ने कहा, “दलाई लामा का मतलब शांति का संदेश है और वो सिर्फ दुनिया में शांति की बात करते हैं. चीन ने तो कभी दलाई लामा की संस्था पर ही विश्वास नहीं किया तो फिर वो क्यों अगले दलाई लामा के चुने जाने की बात कर रहा है.”

चीन ने दावा किया है कि अगले दलाई लामा का चयन उसकी केंद्रीय सरकार की मंजूरी और 18वीं सदी की “स्वर्ण कलश” (Golden Urn) प्रक्रिया के माध्यम से होना चाहिए. हालांकि, चीन के दावे पर भारत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.

भारत ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में चीन के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि दलाई लामा और उनकी स्थापित संस्था, गदेन फोडरंग ट्रस्ट, को ही उनके उत्तराधिकारी का चयन करने का पूरा अधिकार है.

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