खनन निदेशक व कमीशन ने ऐसा प्रतीत किया कि जैसे खनन में कोई कार्य ही नही हो रहा है सब सन्नाटा छा गया था।
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सोनभद्र के खनन क्षेत्र में उस समय हड़कंप मच गया, जब लखनऊ से आए खनन निदेशक ने अचानक छापामारी की। इस औचक निरीक्षण ने पूरे खनन उद्योग में सन्नाटा पसरा रहा और अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों के बीच भगदड़ मच गई। जानकारी के अनुसार, खनन निदेशक को शाम को सत्यम स्टोन में अवैध गिट्टी के भंडारण की सूचना मिली थी। इस सूचना पर खान अधिकारी मौके पर पहुंचे और इंची टेप से खनन क्षेत्र की नाप-जोख की। हालांकि, शुरुआती जांच में उन्हें कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया। इसके बावजूद, शुक्रवार की सुबह सोनभद्र की कई खदानों का औचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान उन्होंने खनन क्षेत्र का बारीकी से जायजा लिया और अनियमितताओं की जांच की। इस कार्रवाई से यह संदेश साफ हो गया कि प्रशासन अब अवैध खनन पर सख्ती से लगाम कसने के मूड में है। शुक्रवार सुबह हुए इस छापे के बाद पूरा खनन क्षेत्र सुनसान दिखाई दिया। खदानें बंद थीं और क्रशरों पर ताले लटके हुए थे। जो लोग पहले अवैध गतिविधियों में लिप्त थे, वे अब भूमिगत हो गए हैं। इस दौरान सोनभद्र के कमिश्नर, खान सुरक्षा अधिकारी, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी खनन निदेशक के साथ निरीक्षण में शामिल थे, जो अवैध खनन की स्थिति का जायजा ले रहे थे। हालांकि, यह भी एक पुरानी सच्चाई है कि जब भी कोई बड़ा अधिकारी खनन क्षेत्र का दौरा करता है, तो वहां कुछ समय के लिए सन्नाटा छा जाता है। अधिकारी जांच करते हैं, रिपोर्ट बनती है, लेकिन कुछ समय बाद स्थिति फिर से जस की तस हो जाती है। यह सवाल बना हुआ है कि आखिर इन जांचों का अंतिम परिणाम क्या होता है और क्या वास्तव में अवैध खनन पर स्थायी रोक लग पाती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बार-बार यह निर्देश दिए हैं कि जहां से लोडिंग होती है, उसे रोका जाए, ताकि सड़क सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और ओवरलोडिंग की समस्या खत्म हो। लेकिन जमीनी हकीकत अक्सर इसके विपरीत होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री के इन फरमानों का खनन अधिकारी द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है, और उनकी ये जांचें मात्र दिखावा बनकर रह जाती हैं। सोनभद्र का खनन क्षेत्र उत्तर प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है, लेकिन अवैध खनन और उससे जुड़ी अनियमितताएं इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। यह देखना होगा कि लखनऊ से आए खनन निदेशक की यह कार्रवाई कितनी प्रभावी साबित होती है और क्या सोनभद्र के खनन क्षेत्र में अवैध गतिविधियों पर स्थायी रूप से अंकुश लग पाता है।