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बड़ी हलचल! पीएम मोदी G7 शिखर सम्मेलन 2025 के मंच से आतंकवाद पर पाकिस्तान को करेंगे बेनकाब


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पहली बार किसी ग्लोबल मंच पर होंगे. यह ग्लोबल मंच G7 के समूह देशों का होगा, जिसमें शिरकत करने प्रधानमंत्री मोदी कनाडा जाएंगे. G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस शहर में 15 से 17 जून तक आयोजित किया जा रहा है.

भारत ने 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था, जिसमें पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकानों को महज चंद मिनटों में मिट्टी में मिला दिया था. इस ऑपरेशन के दौरान 100 से ज्यादा खूंखार आतंकी मारे गए थे. इसके बाद पाकिस्तान की उकसाने वाली कार्रवाई के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को तबाह कर दिया और पाकिस्तान को अब तक का सबसे भारी नुकसान पहुंचा, जिसके बाद पाकिस्तान घुटनों पर आ गया और भारत से सीजफायर का अनुरोध करने लगा.

पाकिस्तान की मांग पर भारत सीजफायर के लिए सहमत हुआ लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, सिर्फ स्थगित हुआ है. अगर पाकिस्तान की तरफ से कोई भी आतंकी हमला कराया गया तो उसका जवाब बहुत बुरा होगा.

अब जब तमाम सांसदों का डेलिगेशन विदेशों में भारत के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को बताकर और पाकिस्तान को बेनकाब कर वापस आ चुका है तो अब बारी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की. पीएम मोदी इसी साल अप्रैल में जब सऊदी अरब की यात्रा रद्द कर भारत लौटे तो उसके बाद कनाडा की उनकी पहली विदेश यात्रा होगी, जिसमें सबसे बड़ी बात यह है कि G7 के सभी सदस्य देश एक साथ मंच पर मौजूद रहेंगे. उम्मीद लगाई जा रही है कि पीएम मोदी आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान को ग्लोबल मंच से बेनकाब करेंगे

G7 शिखर सम्मेलन के मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, यूके के प्रधानमंत्री, जर्मनी के चांसलर, जापान, कनाडा और इटली की प्रधानमंत्री भी मौजूद रहेंगी. दुनियाभर के ताकतवर वैश्विक नेताओं की उपस्थिति से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी के जी7 शिखर सम्मेलन में होने से पाकिस्तान कितना परेशान हो रहा होगा, क्योंकि कनाडा में जब मोदी बोलेंगे तो पूरी दुनिया उन्हें सुनेगी और 'आतंकिस्तान' यानि पाकिस्तान पूरी तरह से बेनकाब होगा.

G7 एक ऐसा संगठन है जिसे Group of Seven के नाम से जाना जाता है. यह दुनिया के सबसे ज्यादा एडवांस अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह माना जाता है. हर साल G7 का आयोजन किया जाता है, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा होती है. इस बैठक में वैश्विक सुरक्षा और शांति के साथ साथ अन्य ग्लोबल चुनौतियों पर भी चर्चा होती है. साल 2025 में G7 की 50वीं वर्षगांठ भी है. इस बार इसकी अध्यक्षता कनाडा के पास है. फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, इटली, और कनाडा G7 के सदस्य देश हैं. यूरोपियन कमीशन और यूरोपियन काउंसिल के सदस्य भी हर साल इस सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं. इसके लिए होस्ट देश अलग अलग गैर सदस्य देशों को भी आमंत्रित करता है.

G7 की पहली बैठक 1970 में जर्मनी और फ्रांस के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक के साथ हुई थी. हालांकि, औपचारिक तौर पर साल 1975 में पहली बार G6 बना. जिसमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका शामिल हुए. इसका मुख्य उद्देश्य बड़ी वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना कैसे करना है. इसके 1 साल बाद ही 1976 में कनाडा को इस समूह में शामिल किया गया, जिसके बाद यह G7 बना.

अब भारत दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था है. भारत दुनिया का एक ऐसा देश है, जिसकी तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और विकास एक रोल मॉडल है. यही वजह है कि जी7 जैसे समूहों के लिए भारत का महत्व सबसे ज्यादा है. दुनिया यह जानती है कि बिना भारत की आवाज के कोई भी ग्लोबल मंच अधूरा माना जाएगा. आज भारत हर क्षेत्र में शानदार काम कर रहा है और वैश्विक शांति के लिए भारत हमेशा अग्रणी भूमिका निभाता है. यही वजह है कि भारत को हर बार जी7 में विशेष तौर पर बुलाया जाता है, जबकि भारत इस समूह का सदस्य देश नहीं है.

हैरानी की बात ये है कि इस बार जी7 को लेकर भारत में कांग्रेस पार्टी ने बिना पूरी जानकारी के सवाल उठाए कि भारत को न्योता नहीं मिला, लेकिन शुक्रवार को कनाडा के प्रधानमंत्री कार्नी ने पीएम मोदी से फोन पर बातचीत की. इस दौरान पीएम मोदी ने उन्हें कनाडा के नए प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी और भारत को जी7 के निमंत्रण के लिए धन्यवाद किया. अपने पोस्ट में पीएम मोदी ने जी7 के लिए कनाडा जाने की पुष्टि भी की.

भारत और कनाडा के बीच शुरू हुए राजनयिक तनाव के बाद यह पहला मौका था, जब कनाडा और भारत के प्रधानमंत्री के बीच फोन पर बातचीत हुई. हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि यह बातचीत कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के आखिरी समय में रुकी थी, क्योंकि ट्रूडो भारत पर अनर्गल और बेबुनियाद आरोप लगा रहे थे, लेकिन जस्टिन ट्रूडो को उनकी अलोकप्रियता के कारण उनकी ही पार्टी ने उन्हें नकार दिया. अब जब कनाडा में मार्क कार्नी नए प्रधानमंत्री बने हैं तो वो भारत के साथ रिश्तों को सही करने की दिशा में आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं. मार्क कार्नी और पीएम मोदी की इस बातचीत से पहले भारत और कनाडा के विदेश मंत्रियों के बीच भी फोन पर बातचीत हुई थी.

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