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प्रतापगढः माइक्रोराइजा का प्रयोग कर मृदा स्वास्थ्य सुधारें और फसल उत्पादन बढ़ाएं


प्रतापगढ़। जिले में जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार ने शुक्रवार को बताया है कि हमारी मिट्टी हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। इसकी उर्वरता और जीवन शक्ति को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। माइक्रोराइजा एक प्रकार का उपयोगी फफूंद (कवक) है, यह खासतौर पर फॉस्फोरस, नाइट्रोजन और जिंक जैसे तत्वों की उपलब्धता बढ़ाता है। माइक्रोराइजा पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाती हैं, जो पौधों की जड़ों से जुड़कर उन्हें मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को बेहतर ढंग से उपलब्ध करने में मदद करता है। जिससे पौधे फॉस्फेट जैसे आवश्यक पोषक तत्वों को अधिक कुशलता से अवशोषित कर पाते हैं। जिला कृषि अधिकारी ने कृषक भाईयों से अनुरोध किया है कि रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करें और प्राकृतिक तथा जैविक उपायों को अपनाकर अपनी खेती को टिकाऊ बनाएं। इसके साथ ही यह तंत्र पौधों को सूखा, रोग और मिट्टी की विषाक्तता से भी लड़ने में सहायता करता है।

उन्होने किसानों से कहा है कि माइक्रोराइजा का प्रयोग कर मृदा स्वास्थ्य सुधारें और फसल उत्पादन बढ़ायें। उन्होने बताया है कि माइक्रोराइजा पौधों की जड़ों के माध्यम से फॉस्फोरस, जिंक और अन्य खनिजों के अवशोषण को बढ़ाती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह फफूंद जड़ तंत्र को विस्तृत बनाकर पौधों को कम पानी में भी जीवित रहने में मदद करती है। इससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में खेती अधिक संभव होती है। माइक्रोराइजा के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होता है। यह पौधों को विभिन्न रोगजनकों से लड़ने में सहायता करती है, जिससे फसल का उत्पादन सुरक्षित और स्थायी रहता है। यह जैविक तकनीक पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना कृषि उत्पादन को बढ़ाने में सहायक है।

उन्होने बीजोपचार विधि के सम्बन्ध में बताया है कि माइक्रोराइजा जैव उर्वरक को बीजों पर पतली परत के रूप में लगाएं। प्रति किलोग्राम बीज के लिए लगभग 5-10 ग्राम माइक्रोराइजा पर्याप्त होता है। बीजों को छाया में सुखाकर तुरंत बोआई करें। जड़ उपचार विधि (रोपाई वाली फसलों हेतु) के सम्बन्ध में बताया है कि माइक्रोराइजा को पानी में घोलकर उसमें पौधों की जड़ों को 15-20 मिनट डुबोकर लगाएं। यह विधि सब्जी, धान आदि की रोपाई में अत्यंत उपयोगी है। मृदा मिश्रण विधि के सम्बन्ध में बताया है कि खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ 4-5 किलो माइक्रोराइजा जैव उर्वरक को गोबर की खाद या कम्पोस्ट के साथ मिलाकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।

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