कन्नड़ विवाद के बीच कमल हासन ने राज्यसभा नामांकन दाखिल करना किया स्थगित
June 04, 2025
साउथ सुपरस्टार कमल हासन ने आज राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल नहीं करेंगे। पहले ऐसी खबर थी कि वे आज नामांकन दाखिल करनेवाले हैं लेकिन उनका आज का कार्यक्रम रद्द हो गया है। दरअसल, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके ने अपने कोटे की चार राज्यसभा सीटों में से एक सीट कमल हासन की पार्टी मक्कल नीधि मय्यम (MNM) को देने का फैसला किया है। इस सीट के जरिए कमल हासन पहली बार राज्यसभा में पहुंचेंगे।
तमिलनाडु के सीएम और डीएमके के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि कमल हासल की पार्टी MNM को एक सीट देने का फैसला लिया गया है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच समझौता हुआ था। डीएमके ने राज्यसभा के लिए बाकी के तीन उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने पी विल्सन, सलमा और एसआर शिवलिंगम को राज्यसभा में भेजने का फैसला लिया है।
बता दें कि इस साल 24 जुलाई को तमिलनाडु से छह राज्यसभा सदस्य रिटायर होनेवाले हैं। इनमें पीएमके के अंबुमणि रामदास, एमडीएमके के नेता वाइको शामिल हैं। राज्यसभा के लिए 9 जून तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। अगले दिन जांच होगी और उसके बाद 19 जून को वोटिंग होगी। 19 जून को ही शाम में नतीजे घोषित किए जाएंगे।
फिलहाल कमल हासन भाषा विवाद को लेकर सुर्खियों में हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अभिनेता एवं नेता कमल हासन को उनके द्वारा अपनी इस टिप्पणी के लिए माफी मांगने से इनकार करने पर मंगलवार को फटकार लगायी कि "कन्नड़ भाषा का जन्म तमिल से हुआ है।" अदालत हासन की फिल्म 'ठग लाइफ' के राज्य में रिलीज के वास्ते सुरक्षा का अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। फिल्म के निर्माताओं ने मंगलवार को अदालत को बताया कि यह फिल्म पांच जून को कर्नाटक में रिलीज नहीं होगी, जो पूरे देश में रिलीज की निर्धारित तिथि है, जिसके बाद अदालत ने सुनवाई 10 जून तक के लिए स्थगित कर दी।
हासन के प्रोडक्शन हाउस राजकमल फिल्म्स इंटरनेशनल ने अभिनेता की टिप्पणी के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन और कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा बहिष्कार के आह्वान के मद्देनजर राज्य में फिल्म की रिलीज के लिए पर्याप्त सुरक्षा का अनुरोध किया था। केएफसीसी ने हासन से माफीनामे की भी मांग की है। जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि "(हासन द्वारा) एक बार माफी मांगने से स्थिति सुलझ सकती थी," उन्होंने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग किसी की, विशेष रूप से जनसमूह की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की सीमा तक नहीं किया जा सकता।"
न्यायाधीश ने कहा कि अभिनेता के हालिया बयान से कर्नाटक के लोगों की भावना को ठेस पहुंची। अदालत ने कहा, ‘‘भाषा लोगों की भावनात्मक और सांस्कृतिक पहचान होती है।" अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी व्यक्ति को ऐसी टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है जो पूरे भाषाई समुदाय के गौरव को ठेस पहुंचाये। जस्टिस नागप्रसन्ना ने सवाल किया, "क्या आप (कमल हासन) इतिहासकार या भाषाविद् हैं जो ऐसा बयान दे रहे हैं? कोई भी भाषा किसी दूसरी भाषा से पैदा नहीं होती। एक माफी से स्थिति सुलझ सकती थी।’’