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लखनऊः योगिनी एकादशी पर बृज की रसोई का सेवा पर्व भूखों को अन्न, बेसहारों को सम्मान! इण्डियन हेल्पलाइन सोसाइटी ने रचा करुणा का इतिहास- रजनी शुक्ला


लखनऊ। योगिनी एकादशी जैसे पुण्यप्रद अवसर पर, जब श्रद्धा और सेवा का संगम आत्मा को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करता है, तब इण्डियन हेल्पलाइन सोसाइटी द्वारा संचालित बृज की रसोई ने एक बार फिर समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग को प्रेम, करुणा और गरिमा से जोड़ा।

रविवार, 22 जून को लखनऊ के आशियाना क्षेत्र में दोपहर 3 बजे आरंभ हुए इस विशेष सेवा कार्यक्रम में सैकड़ों निराश्रित, श्रमिक, झुग्गीवासी, रिक्शा चालक, वृद्ध एवं असहायजन लाभान्वित हुए। अवसर था योगिनी एकादशी का वह दिन जिसे शास्त्रों में अन्नदान, करुणा और प्रभु भक्ति के सर्वोच्च समागम के रूप में वर्णित किया गया है।

संस्था के संस्थापक विपिन शर्मा ने बताया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर व्रत, भगवान विष्णु की पूजा और जरूरतमंदों को भोजन कराना, 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्यदायी होता है।

वही संस्था की राष्ट्रीय महिलाध्यक्ष रजनी शुक्ला ने बताया यह व्रत न केवल पापों के क्षय का कारण बनता है, बल्कि दरिद्रता, दुःख और रुकावटों से मुक्ति भी प्रदान करता है।

संस्था के मीडिया प्रभारी दीपक भुटियानी ने इस सेवा भाव को सच्चे राष्ट्रधर्म से जोड़ते हुए कहा, भूखे को अन्न और निराश को आशा देना ही वास्तविक भक्ति और राष्ट्रसेवा है।

संजय श्रीवास्तव ने कहा सेवा कार्यक्रम के तहत मिक्स सब्जी और चावल का गर्म, पौष्टिक और आत्मीयता से परिपूर्ण भोजन, आशियाना के विभिन्न वंचित स्थलों सेक्टर-एम रिक्शा कॉलोनी, रतन खंड की झुग्गियाँ, अंबेडकर विश्वविद्यालय के समक्ष झुग्गियाँ, निर्माणाधीन शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों के आवास, तथा जोन-8 क्षेत्र की मलिन बस्तियाँ में वितरित किया गया।

संस्था के सदस्य अनुराग दुबे ने बताया कि यह कार्य केवल निःशुल्क भोजन वितरण का ही बल्कि जरूरतमंदों को सम्मान और गरिमा की अनुभूति कराने का है।

विकास पाण्डेय ने बताया इस समर्पित सेवा कार्य में दीपक भुटियानी, संजय श्रीवास्तव, दिनेश कुमार पाण्डेय, आशीष श्रीवास्तव, अनुराग दुबे, दिव्यांशु राज, पीयूष श्रीवास्तव, मुकेश कनौजिया, नवल सिंह सहित संस्था की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष रजनी शुक्ला एवं कई युवा स्वयंसेवकों और समाजसेवियों ने तन-मन से योगदान देकर इसे एक भावपूर्ण जनसेवा उत्सव में परिवर्तित कर दिया।

आशीष श्रीवास्तव बताते है बृज की रसोई आज महज एक संस्था नहीं, बल्कि एक संवेदना है जो हर सप्ताह भूख से जूझ रहे जीवन को न केवल भोजन, बल्कि सम्मान, आत्मीयता और उम्मीद भी प्रदान करती है।

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