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सुप्रीम कोर्ट ने करवा चौथ को महिलाओं के लिए अनिवार्य बनाने की मांग वाली याचिका की खारिज


सुप्रीम कोर्ट ने करवा चौथ को महिलाओं के लिए अनिवार्य बनाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. इससे पहले इसी मांग के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 हजार रुपये का हर्जाना लगाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि भविष्य में अगर वह ऐसी याचिका दाखिल करे तो हाई कोर्ट ज्यादा सख्ती करे.

पंचकूला के रहने वाले नरेंद्र मल्होत्रा ने करवा चौथ को 'सौभाग्य पर्व' कहते हुए इसे सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य बनाने की मांग की थी. उनका कहना था कि विधवा महिलाओं को यह पर्व मनाने की अनुमति न देना गलत है. यह पर्व मां पार्वती से जुड़ा है. इसे मनाने की अनुमति विधवा, तलाकशुदा और लिव इन में रहने वाली महिलाओं को भी होनी चाहिए.

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से मांग की थी कि वह सरकार को कानून बना कर इस पर्व सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य बनाने के लिए कहे. जो महिलाएं परंपरा का पालन न करें, उन्हें दंड देने का भी प्रावधान बनाया जाए. 24 जनवरी 2025 को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका को बेतुकी और आधारहीन बताया था.

हाई कोर्ट के रवैये को देखते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की बात कही. इस पर जजों ने उदारता दिखाई. याचिकाकर्ता से चंडीगढ़ पीजीआई के रोगी कल्याण केंद्र में 1000 रुपए जमा करवाने को कहते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

हाई कोर्ट के आदेश से असंतुष्ट याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर हैरानी जताई. जस्टिस सूर्य कांत ने कहा, 'हाई कोर्ट ने जैसे ही इस व्यर्थ याचिका को सुनने से मना किया, याचिकाकर्ता यहां पहुंच गया. हाई कोर्ट की तरफ से हर्जाना लगाने के आदेश में हम दखल नहीं देंगे. हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में ऐसी याचिका से हाई कोर्ट अधिक सख्ती से निपटेगा.'

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