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क्या आपने खाया है ये जंगली 'काफल', पेट के लिए माना जाता है वरदान


"बेडू पाको बारो मासा नरण काफल पाको चैता मेरी छे ला" अगर आपने कभी पहाड़ी लोक गीतों के बारे सुना है तो ये गाना भी जरूर सुना होगा। हर पहाड़ी की जुबान पर रहने वाले इस लोकगीत में जिस फल का जिक्र हो रहा है क्या आप जानते हैं कि ये कौन सा फल है? अगर नहीं जानते तो हम आपको बता देते हैं। इस फल का नाम 'काफल' है। जो उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में पाया जाता है। ये फल बेहद स्वादिष्ट और गुणों से भरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस फल को चखने के बाद स्वाद के दीवाने हो गए। आइये जानते हैं काफल दूसरे फलों से क्यों अलग है और इसका स्वाद कैसे होता है?

पहाड़ में मिलने वाले फलों के अनगिनत फायदे होते हैं। यहां के जंगलों में ऐसे कई फल मिलते हैं जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। ऐसा ही एक जंगली फल काफल भी है। जो केवल उत्तराखंड के कुमाऊंनी इलाकों में ही मिलता है। यह फल खाने में खट्टा और दिखने में शहतूत की तरह होता है। इसके स्वाद के चर्चे पूरे पहाड़ में होते हैं। यह फल ठंडे इलाके जैसे नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत में पाया जाता है।

काफल दिखने में लाल रंग का होता है। जुलाई के महीने में यह पहाड़ी पर मिलता है और बारिश होने के बाद इसकी मिठास दोगुनी हो जाती है। पहाड़ों में मिलने वाला या फल वहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है। यह फल पहाड़ों पर 400 से 500 किलो मिलता है। गर्मियों में वहां के लोग इस पहाड़ी फल को जंगलों से तोड़कर लाते हैं और मैदानी इलाकों में बेचते हैं। सिलबट्टे पर पिसे हुए नमक के साथ इसको खाने का स्वाद दोगुना हो जाता है।

काफल आम फलों की तरह नहीं है। क्योंकि ये पूरे साल नहीं मिलता है। सिर्फ कुछ महीने ही इस फल का स्वाद चख सकते हैं। काफल दुर्लभ फलों की श्रेणी में आता है। यह साल में सिर्फ दो महीने ही मिलता है। इस फल के पेड़ को कहीं भी नहीं लगाया जा सकता। यह पहाड़ों और जंगलों में अपने आप उगते हैं और वहां के लोगों के जीवन में मिठास भर देता है।

काफल के कई फायदे हैं। काफल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी ये फायदेमंद है। इस फल को खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इस फल को खाने से घुटनों के दर्द में आराम मिलता है। पाचन शक्ति मजबूत होती है। अल्सर, दस्त, एनीमिया, गले में खराश, बुखार समेत कई बीमारियों से बचाता है। इस बार पहाड़ी क्षेत्रों में घूमने जाए तो इस फल को जरूर चखें।

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