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बलियाः सनबीम में दिखी लोक संस्कृति की पारंपरिक झलक


बलिया। एक देश की वास्तविक पहचान उसकी लोक संस्कृति, परंपरा व संस्कारों से ही होती है। भारत की लोक संस्कृति विश्व में सबसे अनूठी है। अतः इसी प्रयास को बढ़ावा देने के निमित्त उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान लखनऊ के तत्वावधान में अगरसंडा स्थित सनबीम स्कूल में सृजन संस्कार गीत कार्यशाला 13 मई 2025 से 22 मई 2025 तक आयोजित था। विद्यालय की बच्चियों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया।

कार्यशाला के अंतिम दिन समापन दिवस पर कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। तत्पश्चात भारतीय वाद्य यंत्रों के सुमधुर सुर-लय व ताल के शानदार समन्वय में बलिया के लोकप्रिय गायक शैलेंद्र मिश्र के दिशा-निर्देशन में छात्राओं ने निमिया के डाल माई, शिव गीत, शगुन गीत, सोहर, कन्यादान, बधाई व विदाई आदि लोक संस्कृति से जुड़े गीतों को गाया और इसके धुन पर शानदार नृत्य प्रस्तुति दी। इस 10 दिवसीय कार्यशाला में छात्र-छात्राओं ने देश की आत्मा में बसे लोक विधा के गीतों को भली-भांति सीखा। प्रतिभागियों को संस्कृति विभाग की ओर से प्रमाण पत्र भी दिया गया।

विद्यालय के निदेशक डॉ कुंवर अरुण सिंह ने संकल्प हाल में आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपनी संस्कृति व विरासत को कदापि नहीं भूलनी चाहिए। हमें अपने देश की अनूठी परंपरा पर गर्व है। आज विश्व भी भारत की संस्कृति को महत्व दे रहा है। विदेशी इसे अपना रहे हैं। ऐसे गीतों को आप अक्सर मांगलिक अवसरों पर सुनते आ रहे हैं। इसको जानने की भूख आप सभी को होनी चाहिए। विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने भारतीय लोक विधा की शैली को रेखांकित करते हुए पाश्चात्य गीत-संगीत से परे अपने देश की स्वस्थ गायन, वादन व नृत्य पर बल देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ यह विधा भी आपको समाज में पहचान दिलाती है। भारतीय गीत - संगीत से तो रोगों का उपचार भी होता है। इस अवसर पर प्रशासक संतोष कुमार चतुर्वेदी, ग्लोबल कोऑर्डिनेटर सहर बानो, हेडमिस्ट्रेस नीतू पांडेय, कोऑर्डिनेटर जयप्रकाश यादव आदि उपस्थित थे।

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