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शाहबाद: कठिन है डगर पर हिम्मत का है सफरः गुब्बारे बेचकर जीवन यापन कर रहा है दृष्टिहीन बुजुर्ग


शाहबाद। जिंदगी में जुनून और जीवन जीने की कला यदि किसी के पास है तो वह हर परिस्थिति में अपना जीवन यापन कर सकता है। जिसका जीता जागता उदाहरण शाहबाद में भी देखने को मिल रहा है। 70 साल की उम्र पार कर चुके ग्राम टांडा निवासी दुर्गा प्रसाद तेज कड़कती हुई धूप और गर्मी में भी बच्चों की गेंदें व अन्य खिलौने बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। दुर्गा प्रसाद के दो बेटे व एक बेटी हैं। गरीबी के कारण उन्होंने अपना एक बड़ा बेटा अपने भाई को गोद दे दिया जिसकी शादी हो चुकी है और उस पर भी दो बेटे हैं। वहीं सबसे छोटी लड़की को भी उन्होंने अपनी रिश्तेदारी में गोद दे दिया उसकी भी शादी हो चुकी है। वहीं बीच का एक लड़का जो दुर्गा प्रसाद के साथ ही रहता है। आज से 5 6 साल पूर्व दुर्गा प्रसाद टांडा चैराहे पर ही अपनी छोटी सी दुकान चलाकर परिवार का पालन पोषण करते थे परंतु पत्नी की मृत्यु के पश्चात उनका जीवन अकेला पड़ गया और वह टूटने से लगे थे, परंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत मजदूरी करते रहे। वही 5 - 6 वर्ष पूर्व आंखों की रोशनी चली जाने के पश्चात भी उन्होंने ईश्वर के दिए हुए इस अनमोल जीवन की कद्र करते हुए उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों की गेंदे व गुब्बारे आदि बेचकर अपनी गुजर बसर करने लगे । दुर्गा प्रसाद ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि जब उन्होंने अपनी पेंशन बनाने के लिए एप्लाई किया तो लेखपाल द्वारा उनकी वार्षिक आय अधिक दिखा देने के कारण उनकी पेंशन नहीं बन पाई बाद में अन्य अधिकारियों से मिलकर कई महीने के पश्चात जाकर अपनी वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ ले पा रहे हैं। दुर्गा प्रसाद का सरकार से बस यही कहना है कि योजनाएं बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की लाभार्थी को अधिकारियों के चक्कर ना काटने पड़े और अधिकारी लाभार्थी को गुमराह भी ना कर सकें।

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