घरेलू उड़ानों में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बना भारत-राम मोहन नायडू
May 24, 2025
भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एशिया की सबसे बड़ी सिविल एविएशन प्रदर्शनी “विंग्स इंडिया 2026” के कर्टेन रेजर कार्यक्रम का आयोजन राजधानी दिल्ली के ताज पैलेस होटल में किया. इस अवसर पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू, राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोळ, सचिव समीर कुमार सिन्हा, AAI के चेयरमैन विपिन कुमार, BCAS के महानिदेशक राजेश निर्वाण, FICCI एविएशन समिति के चेयरमैन रेमी मैयार्ड और FICCI की महानिदेशक ज्योति विज मौजूद रहे.
अपने भाषण में केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू ने भारत के विमानन क्षेत्र की शानदार प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत आज विश्व का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन चुका है और जल्द ही कुल हवाई यात्रियों के मामले में भी तीसरे स्थान पर पहुंचने वाला है. उन्होंने कहा कि “विकसित भारत @2047” की दिशा में सरकार एक स्पष्ट रोडमैप पर काम कर रही है, जिसमें आधुनिक तकनीक, अंतिम छोर तक संपर्क और टिकाऊ विकास प्रमुख हैं.
इस कार्यक्रम में विंग्स इंडिया 2026 की थीम “Indian Aviation: Paving the Future - from Design to Deployment, Manufacturing to Maintenance, Inclusivity to Innovation and Safety to Sustainability” की घोषणा की गई. मंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि भारत के विमानन क्षेत्र की दृष्टि और नेतृत्व का प्रतीक है.
इस अवसर पर विंग्स इंडिया 2026 की ब्रॉशर, प्रचार वीडियो, और आधिकारिक मोबाइल ऐप का भी लोकार्पण किया गया. यह ऐप वैश्विक प्रतिभागियों और हितधारकों के लिए सहभागिता और संवाद का माध्यम बनेगा.
राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोळ ने कहा कि भारत की विमानन सफलता न केवल केंद्र की नीति का परिणाम है, बल्कि राज्यों की भागीदारी से भी संभव हो पाई है. उन्होंने बताया कि UDAN योजना के अंतर्गत टियर-2 और टियर-3 शहरों को राष्ट्रीय विमानन नेटवर्क से जोड़ा गया है, जिससे पर्यटन, व्यापार और रोजगार को बल मिला है. क्षेत्रीय समन्वय को बेहतर करने के लिए मंत्रालय जल्द रीजनल कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा.
नागरिक उड्डयन सचिव समीर कुमार सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि मंत्रालय का मुख्य फोकस सतत विकास और नवाचार है. उन्होंने कहा कि भारत सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है. साथ ही, ड्रोन और eVTOL जैसी तकनीकों के माध्यम से उन्नत हवाई संपर्क की दिशा में भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं.