लखनऊ। योगी सरकार की अपराध के विरुद्ध जीरो टॉलेरेन्स नीति महज कागज पर सफेद हाथी साबित होती नजर आ रही है। एक वर्ष बीत जाने के बाद भी थाना संडीला की उदासीनता के चलते हत्या का मुकदमा पंजीकृत नही किया जा सका है। पुलिस मात्र पोस्टमोर्टम की रिपोर्ट को एक हथियार के रूप मे इस्तेमाल कर केस को रफा दफा करने के प्रयास मे रहती है जबकि मौके पर जो साक्ष्य इकठ्ठा किये जाते है उनको भी जांच मे शामिल कर अगर गंभीरता से समजस्य स्थापित किया जाये तो शायद अपराधी जो कानून की आँखों मे धूल झोकने के प्रयास मे होता है वो जेल की सलाखो के पीछे हो। इस सब के वाउजूद पुलिस को अधिकार होता है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल कितनी ईमानदारी से करती है या नही। ताजा मामला ग्राम गडरियनखेड़ा मजरा तिलोइयांकला थाना सण्डीला जिला हरदोई के रमेश पुत्र रामस्वरूप के बेटे रामकिशोर का है। पीड़ित रमेश के अनुसार उसका पुत्र जो पिछले वर्ष 9 मई 2024 को समय लगभग रात के 10.30 बजे गुप्ता ढाबा व आरबी हास्पिटल में दूध देने गया था। समय लगभग 11.42 बजे रात में रमेश की पत्नी श्यामा देवी ने अपने पुत्र रामकिशोर के मोबाइल पर आखिरी बार बात की थी तब उसके लड़के ने बताया कि 10 -15 मिनट में निकल रहा है उसके बाद पीड़ित व उसकी पत्नी सो गई। रात लगभग 3 बजे पीड़ित की आंख खुली तो पीड़ित रमेश ने अपनी पत्नी से पूछा की रामकिशोर कहां है तब पीड़ित की पत्नी ने बताया कि वह अभी नही आया है फिर पीड़ित की पत्नी ने गुप्ता ढाबा फोन करके पूछा तो उन्होनें बताया कि रामकिशोर दूध देकर लगभग 11.45 बजे रात में ही निकल गये थे फिर पीड़ित रात में ही साइकिल से अपने पुत्र रामकिशोर को ढूंढने निकला पीड़ित रास्ते भर खोजते हुए गुप्ता ढाबा पर पहुंच गया तो वहां प्रार्थी को बताया कि रामकिशोर तो रात में ही निकल गये थे । पीड़ित अपने पुत्र को ढूंढते हुए वापस अपने गांव की तरफ चल पडा शॉक के मोड़ के आगे लगभग 10 कदम पर पुल के सहारे प्रार्थी के पुत्र की मोटर साइकिल खड़ी थी जिसमें दूध के खाली केन बंधे थे बाइक पूरी तरह से सही सलामत थी तब पीड़ित अपने पुत्र को इधर उघर तलाश करने लगा। मोटर साइकिल से लगभग 200 मीटर आगे बीच रोड में पड़े नल के गढ़ढे में रोड के उत्तर साइड में पीड़ित के पुत्र की लाश खून से लतपत मिली गढ़ढे से उत्तर दिशा लगभग 10-15 फिट दूरी पर पीड़ित के पुत्र का जमीन पर खून पड़ा मिला
। पीड़ित के पुत्र रामकिशोर के सिर पर धारदार हथियार के वार के कई निशान थे । पीड़ित के पुत्र ने सिर में रूमाल बंधा था। उस रूमाल में भी धारदार के हमले के निशान् है जो रूमाल पीड़ित के पास मौजूद है। उक्त घटना से पूर्व पीड़ित का पुत्र रामकिशोर खौसीखेड़ा के राजेन्द्र पुत्र भैयालाल की बहन शिवानी से बात करता था इसी रंजिश के कारण उक्त घटना से लगभग 15 दिन पूर्व पीड़ित के पुत्र रामकिशोर का मोबाइल रावेन्द्र ने छीना था तथा पीड़ित के पुत्र को भविष्य में जान से मार डालने की धमकी भी दी थी तथा पीड़ित का पुत्र रामकिशोर लाली पुत्री गजराज निवासी नरायनपुर से भी बात करता था। घटना वाले दिन भी पीड़ित के पुत्र ने लाली से कई बार बात की थी। लाली का भाई सन्जू उर्फ चन्द्रशेखर भी पीड़ित के पुत्र से रंजिश रखता है रोहित पुत्र रामौतार निवासी ग्राम सनई से भी एक माह पूर्व रामकिशोर से हाथापाई हुई थी। पीड़ित को शक है कि उपरोक्त लोगों ने ही रंजिश के कारण पीड़ित के पुत्र रामकिशोर की रात में रोड के नीचे खींच कर धारदार हथियार से गोदकर हत्या की है और पीड़ित के पुत्र का शव रोड के उत्तर दिशा नल के गढडे में डाल दिया है।
पीड़ित रमेश ने पुलिस के उच्चाधिकारियों तक अपनी शिकायत दर्ज कराई है परन्तु ढाक के तीन पात,मामला एक वर्ष बीत जाने के बाद भी वही का वही है। पुलिस ने शायद पोस्टमोर्टम रिपोर्ट मे दर्ज जख्मो को आधार बनाकर रोड एक्सीडेंट मानकर मामले को रफा दफा करने के फिराक मे थी। अगर पोस्टमोर्टम रिपोर्ट और घटनास्थ्ल् से जुटाये साक्ष्यों को गंभीरता से लेते हुये गहन जांच की जाये तो शायद पीड़ित को न्याय मिल सके।