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रुद्रपुर:अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग डे पर रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज में कार्यक्रम आयोजित, नर्सिंग स्टाफ को किया गया सम्मानित- अभिषेक शर्मा


रुद्रपुर। हर साल 12 मई को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर मंगलवार को पंडित राम सुमेर राजकीय मेडिकल कॉलेज में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया स आयोजन पूरी तरह से मानव सेवा और नर्सिंग के उच्च आदर्शों को समर्पित रहा। कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के समस्त नर्सिंग स्टाफ को उनके अतुलनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं वरिष्ठ सर्जन डॉ. केदार सिंह शाही , सीएमओ डॉ. केके अग्रवाल आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में नर्सिंग स्टाफ द्वारा स्वागत गीत और फ्लोरेंस नाइटिंगेल पर आधारित एक लघु नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसने उपस्थित जनों को भावुक कर दिया।

इस दौरान प्राचार्य डॉ. केदार सिंह शाही ने नर्सिंग स्टाफ को संबोधित करते हुए फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जीवन और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “आज का दिन केवल एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक प्रेरणा है उन सभी के लिए जो चिकित्सा क्षेत्र में सेवा भाव से जुड़े हैं।”

उन्होंने बताया कि फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को इटली के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। उनका झुकाव बचपन से ही सेवा की ओर था। समाज के विरोध के बावजूद उन्होंने नर्स बनने का निर्णय लिया और इस पेशे को एक नई पहचान दी।

क्रीमियन युद्ध (1853-1856) के दौरान फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने 38 नर्सों के साथ घायल सैनिकों की सेवा की। वहां की भयावह परिस्थितियों में भी उन्होंने साफ-सफाई, पोषण और देखभाल को प्राथमिकता दी, जिससे मृत्यु दर में भारी गिरावट आई। इसी सेवा के कारण उन्हें श् ’लेडी विद द लैम्प’ श् की उपाधि मिली।

डॉ. शाही ने बताया कि फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने 1860 में ’द’ ’नाइटेंगल ट्रेनिंग स्कूल फॉर नर्सेज’’ की स्थापना की। इससे प्रशिक्षित नर्सों ने पूरी दुनिया में नर्सिंग को एक सम्मानित पेशा बनाया। उन्होंने ’नोट्स ओं नर्सिंग’ जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखीं, जो आज भी पढ़ाई जाती हैं।

उन्होंने कहा कि नर्सिंग न केवल चिकित्सा का अभिन्न अंग है, बल्कि यह मानवता की सबसे सच्ची अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि नर्सें केवल मरीजों की देखभाल ही नहीं करतीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और नैतिक रूप से भी उन्हें संबल देती हैं। कोविड-19 महामारी इसका ताजा उदाहरण है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरित करते रहेंगे।।

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