बडा सवाल- जायस नगर पालिका मे सदियों से तैनात लिपिंक बाबू राम मोहन का दिन पर दिन हो रहे नये नये खुलासें, आखिर ऐसे लिपिंक बाबू की जांच करने से क्यों कतरा रहा है विभागीय प्रशासन,जांच के नाम पर बस हो रही खानापूर्ति आखिर क्यों?।
जायस/अमेठी। जनपद के तहसील तिलोई के नगर पालिका जायस मे सदियों से तैनात लिपिंक बाबू यानी राम मोहन शुक्ला की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रहा। सूत्र बताते है कि दिन पर दिन हो रहे लिपिंक के नये नये खुलासे अभी हाल मे एक मामला 2008 व 2009 की चर्चा चल ही रहा था, जांच कर्ता पूरी तरह अभी जांच रकम हजम भी नही कर पाये थे, उससे पहले ही लिपिंक का एक और नया कार्यनामा उजागर हो गया है। आपको बताते चले कि नगर पालिका परिषद जायस मे तैनात लिपिंक बाबू के द्वारा कोर्ट को उपलब्ध कराये गये दस्तावेज मे एक और दस्तावेज प्राप्त हुआ है। पूर्व रहे नगर पालिका अध्यक्ष के सिग्नेचर मोहर वेरी फिकेशन द्वारा प्रमाणित नियुक्ति पत्र जिसमे साफ तौर से साबित किया गया है कि 2015 मे राम मोहन शुक्ला को जायस नगर पालिका परिषद यानी लोक सेवक कि ओर से लिपिंक पद प्रमाण पत्र दिया गया है। देखा जाये तो पूर्व मे रहे जायस नगर पालिका परिषद अध्यक्ष राम नरायण के द्वारा ये नियुक्ति पत्र प्रमाणित भी किया गया है। विभागीय मिलीभगत के तहत ये पत्र जारी किया गया है, जब कि लोक सेवक यानी नगर पालिका का राइट ही नही बनता कि लिपिंक पद का नियुक्त पत्र स्वमं नगर पालिका जारी कर सके। नियमानुसार देखा जाये तो लोक सेवक के अधीन ये लिपिंक नियुक्ति पद पत्र जारी नही किया जा सकता है, लेकिन ऐसे काम को भी बडी आसानी से जायस नगर पालिका के द्वारा आसानी से अन्जाम दिया जा चुका है। जब कि लिपिंक नियुक्ति पत्र नगर निकाय निर्देशक महोदय के यहा से जारी होने की रूलिंग के तहत माना जाता है। लेकिन पूर्व मे रहे नगर पालिका अध्यक्ष राम नरायण कनौजिया महोदय के रहमो करम राम मोहन शुक्ला जी पर इस तरह मेहरबान हुआ की आज भी सदस्यों से राम मोहन इसी जायस नगर पालिका मे वर्तमान लिपिंक के पद पर तैनात होकर लगभग बीस सालों से मलाई काट रहे है।