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यद्यपि समाजवादी पार्टी से किसी आदर्श आचरण की अपेक्षा करना व्यर्थ है-सीएम योगी


समाजवादी पार्टी की मीडिया सेल द्वारा डिप्टी सीएम बृजेश पाठक पर अभद्र टिप्पणी के मामले में सीएम योगी की प्रतिक्रिया सामने आई है। सीएम योगी ने अपने एक्स हैंडल पर कहा, 'यद्यपि समाजवादी पार्टी से किसी आदर्श आचरण की अपेक्षा करना व्यर्थ है, किंतु सभ्य समाज उनके अशोभनीय एवं अभद्र वक्तव्यों को सहन नहीं कर सकता। समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को चाहिए कि वे अपने सोशल मीडिया हैंडल्स की भली भांति समीक्षा करें तथा यह सुनिश्चित करें कि वहां प्रयुक्त भाषा मर्यादित, संयमित और गरिमापूर्ण हो।'

सपा नेता अखिलेश यादव ने भी डिप्टी सीएम मामले में एक्स हैंडल पर पोस्ट किया है और बिना नाम लिए निशाना साधते हुए लिखा, 'खाली बैठे लोग बात आगे बढ़ाते हैं। ‘काम करनेवाले’ आगे बढ़ जाते हैं। चलो हम सब पीडीए मिलकर सकारात्मक राजनीति के मार्ग पर आगे बढ़कर संकल्प उठाएं कि अपनी पीडीए सरकार बनाएंगे, सामाजिक न्याय का राज लाएंगे। जो लोग अपने दलों में पूछे नहीं जाते हैं, अपने मंत्रालय को नाकामी का तमगा पहनाते हैं, निरर्थक बातों में, चाटुकारिता में अपना दिन और समय बिताते हैं, उनसे पुनः आग्रह है कि कुछ सार्थक भूमिका निभाइए और जिस समाज का आप सामाजिक प्रतिनिधित्व करते हैं, (अगर वो समाज आपको एक प्रतिशत भी अपना मानता है तो) उप्र भाजपा सरकार के राज में उस समाज पर कितना अत्याचार और अन्याय हो रहा है, उस पर यदि बोलकर कुछ कहने का साहस नहीं है तो कम से कम इशारे से ही कुछ कह दीजिए।'

अखिलेश ने कहा, 'परिपक्व बनिए, सौम्य, शिष्टाचारी और मृदु भाषी भी। उन पर विश्वास मत कीजिए जो अपनों के सगे नहीं हैं, और वैसे भी आप तो मूल रूप से उनके हैं भी नहीं, बाहर से आकर; भाजपाइयों जैसा बोलकर, भाजपाइयों जैसा बनकर यहां घुलने-मिलने की कोशिश कर रहे हैं। अपना राजनीतिक शोषण मत होने दीजिए। अगर आपको इन पर कुछ ज़्यादा ही विश्वास है तो उनके बारे में एक बार ज़रूर सोच लीजिए, जो आज से पहले अपने को भाजपा में महत्वपूर्ण समझते थे और जो मूल रूप से भाजपाई थे, आप की तरह बाहरी भी नहीं थे। आज हैं वो वहां, कल आप होंगे जहां।'

अखिलेश ने कहा, 'आशा है आप अपने दल में ‘राजनीतिक स्वास्थ्य’ को सुधारने का काम करेंगे। अगर कभी संकट में हों तो हम आपके साथ खड़े रहेंगे। हम जानते हैं वो समय दूर भी नहीं है क्योंकि न तो आप, न ही आपका समाज आज के सत्ताधीश को “भाता है या लुभाता है”। आपका समाज उनकी निगाह में दोयम क्या, कभी तियम भी न था और न होगा। आप तो अपनी चहारदीवारी बचाइए और नैतिक बुनियाद भी, वो बचेगी तो आप भी बचे रहेंगे। इस कड़ी का अंतिम पत्र क्योंकि हमें तो जनहित के लिए काम पर निकलना है।

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