- डॉ. गौरव पांडे ,डॉ. सुमित रूंगटा,डॉ. मनीष टंडन सहित अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों ने अपने विचार किये साझा
- 38 प्रतिशत आबादी लिवर ग्रसित,सोचनीय ?
डा. गौरव पाण्डेय ने कहा कि फैटी लिवर रोग तब होता है जब लिवर कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। इसे मोटे तौर पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता हैः मेट बोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज और अल्कोहलिक फैटी लिवर । मेटबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज अधिक आम है और अक्सर मोटापे, मधुमेह और मेटाबोलिक सिंड्रोम से जुड़ा होता है. जबकि दूसरा अत्यधिक शराब के सेवन से जुडा होता है।
हाल के अध्ययनों के अनुसार, फैटी लीवर रोग भारतीय आबादी के लगभग 38ः को प्रभावित करता है। बढ़ती मोटापे की दर और गतिहीन जीवनशैली के कारण इसका प्रचलन बढ़ रहा है। अगर इलाज न कराया जाए, तो फैटी लिवर रोग और भी गंभीर स्थितियों में बदल सकता है, जैसे कि लिवर में सूजन (स्टीटोहेपेटाइटिस), फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर भी। इन जटिलताओं को रोकने के लिए शुरुआती पहचान और जीवनशैली में बदलाव बहुत जरूरी है।
डॉ. सुमित रूंगटा ने कहा कि फैटी लिवर का अगर इलाज न कराया जाए, तो फैटी लिवर रोग और भी गंभीर स्थितियों में बदल सकता है, जैसे कि लिवर में सूजन (स्टीटोहेपेटाइटिस), फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर भी। इन जटिलताओं को रोकने के लिए शुरुआती पहचान और जीवनशैली में बदलाव बहुत जरूरी हैं। फैटी लिवर रोग से निपटने के लिये फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार पर जोर दें। संतृप्त वसा, परिष्कृत शर्करा और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें।
प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाले व्यायाम करें, जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना या तैराकी। आहार और व्यायाम के संयोजन के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखें। नियमित चिकित्सा जाँच और लिवर फंक्शन परीक्षण फैटी लिवर रोग का शुरुआती पता लगाने और प्रबंधन में मदद कर सकते हैं।शराब एवं धूम्रपान से बचे या सेवन सीमित करे साथ ही खूब पानी का सेवन करे।
केवल निर्धारित दवाओं का उपयोग करें और स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श किए बिना कई दवाओं को एक साथ लेने से बचें।
डॉ. मनीष टंडन ने कहा कि पुरानी बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का उचित प्रबंधन करें, क्योंकि अगर इन्हें अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो ये लीवर की बीमारी में योगदान कर सकती हैं।उन्होंने कहा कि आप ठीक से पका हुआ भोजन खाएं और कच्चा या अधपका मांस और समुद्री भोजन खाने से बचें, जो खाद्य जनित बीमारियों का स्रोत हो सकते हैं।
इन सुझावों को अपनी जीवनशैली में शामिल करके, आप अपने लीवर के स्वास्थ्य का समर्थन कर सकते हैं और लीवर की बीमारियों और जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।