टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने संसद में किया वक्फ बिल का विरोध
April 02, 2025
वक्फ बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है। सदन में बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष और सरकार के नेताओं के बीच जोरदार बहस देखने को मिल रही है। जैसे ही बिल को लोकसभा में पेश किया गया वैसे ही विपक्ष आपत्ति जताने लगा, जिस पर गृह मंत्री अमित शाह ने उठकर कहा कि कांग्रेस की कमोटियां बस ठप्पा लगाती थीं। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने वक्फ कानून में बदलावों के जरिए इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था, इसलिए इसमें नए संशोधनों की जरूरत पड़ी।
किरण रिजिजू ने सदन में विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने उन मुद्दों पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की, जो वक्फ विधेयक का हिस्सा नहीं हैं। मंत्री ने विधेयक को लेकर विपक्षी दलों की ओर से जताई जा रही चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार किसी भी धार्मिक संस्था में हस्तक्षेप नहीं करने जा रही।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर सदन में बोलते हुए टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि सरकार यह बिल लाकर गलत कदम उठा रही है। यह अल्पसंख्यक समुदाय के लिए ठीक नहीं है। सरकार को इस बिल को वापस लेना चाहिए। टीएमसी वक्फ संशोधन बिल का पुरजोर विरोध करती है। बनर्जी ने कहा कि वक्फ की संपत्ति मुस्लिमों के लिए बैकबोन है। वक्फ संशोधन बिल के जरिए बदलाव इस्लामिक परंपराओं और संस्कृति को लेकर गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि यह मुस्लिमों के अधिकारों को छीनने का प्रयास है जो असंवैधानिक है।
लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पर 8 घंटे की चर्चा होने की उम्मीद है। इस बिल का विपक्ष ने जोरदार विरोध किया है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है, जबकि सरकार का दावा है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा।
एनडीए के सहयोगी दल जैसे जेडीयू, टीडीपी और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी सरकार के समर्थन का ऐलान किया है। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' इस बिल का कड़ा विरोध करने के लिए तैयार है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे संविधान के खिलाफ और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला करार दिया है। लोकसभा में संख्याबल के हिसाब से एनडीए की स्थिति मजबूत है, जिसके पास 293 सांसद हैं, जबकि बिल पास करने के लिए 272 वोटों की जरूरत है।