पीलीभीत: जर्जर पुलों पर मंडरा रहा है मौत का साया: जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से जनता परेशान
April 29, 2025
पीलीभीत। तराई के छोटे से जनपद बांसुरी नगरी टाइगर रिजर्व पीलीभीत में पूर्व लोक निर्माण विभाग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने पीलीभीत के कई जर्जर हो चुके पुलों का निर्माण करा कर उन्हें अपना गुड वर्क बताकर बीते लोकसभा चुनाव में विजय का परचम लहराकर यह सीट भाजपा की झोली में डाली।
उससे पूर्व बीते करीब ढाई दशक से अधिक समय तक गांधी नेहरू परिवार की छोटी बहू पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी उनके सुपुत्र फिरोज वरुण गांधी का एक छत्र राज यहां रहा लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में पीलीभीत से टिकट न देकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के राजनीतिक सलाहकार जितेंद्र प्रसाद उर्फ बाबा साहब के सुपुत्र जितिन प्रसाद को भाजपा हाई कमान ने टिकट देकर चुनावी समन में उतारा और वह विजयी हुए हालांकि लोकसभा में पहले पुवायां विधानसभा शामिल होने के चलते यह सीट कुर्मी बाहुल्य सीटों में सुमार की जाती रही भारतवर्ष के आजाद होने के बाद पीलीभीत के पहले सांसद बाबू मुकंदी लाल अग्रवाल एडवोकेट चुनाव जीते उसके बाद अधिकतर कुर्मी बिरादरी के भानु प्रताप सिंह हरीश गंगवार एडवोकेट विजय हुए उसके बाद राम लहर में भाजपा प्रत्याशी के रूप में डॉक्टर परशुराम गंगवार ने मेनका संजय गांधी को पराजित कर लोकसभा पहुंचने का गौरव प्राप्त किया उसके अगले चुनाव में मेनका गांधी ने अपनी पराजय का बदला लेकर विजय का परचम लहराया बाद में उन्होंने अवाला से चुनाव लड़ने का मन बना लिया और पीलीभीत में अपने पुत्र फिरोज वरुण गांधी को चुनावी समर में उतार दिया एक जाति विशेष के हाथ काट देने के विवादित बयान के बाद वरुण गांधी बहुत भारी मतों से विजयी हुए और पहली बार संसद पहुंचे बीते चुनाव में वरुण की जगह जितिन प्रसाद को टिकट मिला और वह चुनाव जीत गए पीलीभीत का दुर्भाग्य रहा है की हमेशा यहां पैराशूट प्रत्याशी बाहर से आकर विजयी हुए हालांकि मेनका व वरुण गांधी ने टनकपुर रोड पर अनिल चैधरी के आवास पर अपना संसदीय जनसंपर्क कार्यालय बनाया और दिल्ली में भी यहां से पहुंचने वाले लोगों की भरपूर मदद हर तरह से की इसीलिए मां बेटे जनता के बीच बहुत लोकप्रिय रहे ।
किंतु यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की बीते लोकसभा चुनाव में चुनाव जीतने के 1 वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने अभी तक मुख्यालय पर अथवा पूरे पीलीभीत बहेड़ी लोकसभा क्षेत्र में कहीं भी अपना जनसंपर्क कार्यालय नहीं बनाया है जिसके कारण यहां के लाखों फरियादी दर-दर भटकने को मजबूर है वैसे तो पीलीभीत वन संपदा वन जीव जंतु कृषि संपदा धान गेहूं बांसुरी व खड़ाऊ रहल उद्योग के लिए दूर-दूर तक जाना जाता है
पीलीभीत शहर में चंदौई गांव के निकट करीब 200 वर्ष प्राचीन कंगइया ईटों से सुर्खी चूने से निर्मित डटो पर 200 वर्ष प्राचीन अति जर्जर हो चुका खकरा पुल गुजरने वालों को मौत की दावत दे रहा है इस खकरा पुल के तटो पर तत्कालीन जिलाधिकारी मासूम अली सरवर द्वारा पत्थरों से बांध बनवाकर सौंदर्यीकरण किया गया यहां पर पहले धोबी घाट भी हुआ करता था लेकिन खाखरा पुल के किनारे व जल में अत्यंत गंदगी होने के कारण धोबी घाट कई वर्षों से बंद हो गया यह पुल 2 पहिया 4 पहिया वाहन को खुली मौत की दावत दे रहा है यह पुल अति जर्जर व प्राचीन होने के कारण कभी भी भरभरा कर गिर सकता हैं।
इसी तरह बरेली टनकपुर हाईवे पर मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित खमरिया पुल भी कंगइया ईटों
से डटो पर करीब 200 वर्ष पूर्व बनाया गया जो कई जगह से बहुत जर्जर अवस्था को प्राप्त हो गया है इस पुल से भी दिन-रात बड़े-बड़े भारी 4 पहिया वाहन 2 पहिया 3 पहिया वाहन यात्रियों व माल को लेकर गुजरते हैं यह खमरिया पुल भी अति प्राचीन व जर्जर होने के कारण जहां लोगों को मौत की दावत दे रहा है वही यह पुल कभी भी भरभरा गिर सकता है।
बड़ी रेलवे लाइन बनने के समय इस खमरिया पुल पर रेलवे पुल का निर्माण तो किया गया हालांकि पहले काफी समय पूर्व इस खमरिया पुल के निकट भी पुल बनाने के लिए पिलर का निर्माण शुरू किया गया जो बाद में बंद हो गया जो आधे अधूरे बने पड़े हुए हैं ।
मजेदार बात यह है की खाकरा एवं खमरिया के अति प्राचीन जर्जर हो चुके पुलो के नव निर्माण की दिशा में कोई जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। देखना यह है की डबल इंजन की योगी मोदी सरकार का राज्यसेतु निगम इन दोनों जर्जर हो चुके पुलो का नवनिर्माण करने के लिए कब कुंभकरणी नींद से जागेगा इस ओर यहां के लाखों नागरिकों की आस नए पुल निर्माण को लेकर लगी हुई है इतना अवश्य है यह दोनों जर्जर हो चुके पुल लोगों को मौत की खुली दावत दे रहे हैं।