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प्रयागराज: संस्कार भारती समरसता के संदेश के साथ कलाकारों को सम्मानजनक मंच प्रदान करती है-न्यायमूर्ति सुधीर नारायण


प्रयागराज। नव-संवत्सर 2082 श्सिद्धार्थी के पावन-पुनीत अवसर पर संस्कार भारती प्रयागराज महानगर द्वारा चीनी धर्मशाला में वरिष्ठ कवि ईऽ जनकवि प्रकाश की अध्यक्षता में श्मंगलमश् कविसम्मेलन का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति माननीय सुधीर नारायण ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।उन्होंनें अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कार भारती अपने सांस्कृतिक एवं साहित्यक कार्यक्रमों से जहाँ एक ओर समरसता का संदेश देती है वहीं कलाकारों को एक सम्मानजनक मंच प्रदान कर उनमें उनमें उमंग-उत्साह का संचार भी करती है।इससे पूर्व संस्था के महामन्त्री विभव शंकर मिश्र ने मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष को तथा मुख्य अतिथि ने समस्त कविगण का पुष्पहार,अंगवस्त्र एवं स्मृतिचिन्ह प्रदान कर उनको सम्मानित किया।

अंतरराष्ट्रीय शायरा प्रीता बाजपेई की सरस्वती वंदना हे मां वाणी ऐसा वर दो जीवन सफल बनाएं हम, गीत तुम्हारे गाएं हम,से कवि-सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।वरिष्ठ कवि डाऽयोगेन्द्र कुमार मिश्र ने जन-जन के नायक को राम-राम कहिये,समरसता के नायक को राम-राम कहिये, राम के पूर्व राम राम उपरांत राम,ऐसे पूर्ण राम को राम-राम कहिए,पढ़कर श्रोताओं की तालियां बटोरीं।कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे डॉ. पीयूष मिश्र श्पीयूषश् ने हम भी रहें तुम भी रहो, हंसता चमन रहे। मिलने मिलाने के यहां सौ सौ जतन रहे,काव्य पंक्तियां पढ़कर भाईचारे का संदेश दिया। डाऽ राजेन्द्र त्रिपाठी श्रसराजश् ने पढ़ा---सृष्टि हो,सरस्वती हो,सीता हो,सती हो तुम,लक्ष्मी और दुर्गा हो शक्तिरुपधारिणी।राधा रुक्मिणी हो, द्रौपदी हो,कुन्ती गान्धारीश् मीरा ब्रजगोपियाँ हो।।पं राकेश मालवीय ने पढ़ा--राम-कृपा से भक्तों के सब, पाप-ताप मिट जाते हैं।।राम नाम का अमृत पीकर, जो जीवन जी जाता है।राम रमे रहते उस तन में, पाप सकल मिट जाता है।रवीन्द्र कुशवाहा ने मित्रता में विश्वास को तरजीह देते हुए पढ़ा धड़कन को एक श्वास चाहिए, मित्रता को विश्वास चाहिए।।शम्भूनाथ श्रीवास्तव श्शम्भुश्,ने सुनाया। धरा में तुम हो, गगन में भी हो।हो नीर पावक, पवन में भी हो।आनंद श्रीवास्तव ने पढ़ा। जिंदगी की यही कहानी है सांस आनी है और जानी है जब भी बोलो तो प्यार से बोलो बाद तेरे यही निशानी है।।शिवराम उपाध्याय श्मुकुल मतवालाश् ने भी अपने रचनापाठ से श्रोताओं को आल्हादित कर दिया।संस्था की उपाध्यक्ष डाऽ ज्योति मिश्र ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।प्रारंभिक उद्घोषणा संतोष पाण्डेय ने की।

कार्यक्रम में काशी-प्रांत के लोककला संयोजक सुशील राय,महिलाशक्ति संयोजिका प्रेमलता मिश्रा,रेखा मिश्रा, गायक मनोज गुप्ता, डाऽ वीरेन्द्र तिवारी,एडवोकेट संतोष जैन गणमान्य उपस्थित रहे।

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