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ट्रंप के टैरिफ को लेकर एक्शन में आई भारत सरकार, बनाई 4 मंत्रियों की समिति


अमेरिका ने बुधवार (2 अप्रैल 2025) को दुनिया के कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया. वहीं भारतीय सामान जो अमेरिकी बाजारों में जाएंगे उस पर 27 फीसदी टैरिफ लगाया गया, हालांकि बाद में इसे 26 फीसदी कर दिया गया. अमेरिकी टैरिफ का भारतीय बाजारों पर क्या असर पड़ेगा, इसका आकलन करने के लिए केंद्र सरकार ने एक समीति का गठन किया है

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में केंद्र ने जिस समिति का गठन किया है, उसमें चार कैबिनेट मंत्री भी शामिल होंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तर्क दिया कि ये कदम अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मददगार साबित होंगे. ट्रंप का मानना है कि व्यापार असंतुलन को दूर करने, अमेरिकी नौकरियों और मैन्यूफैक्चरिंग की रक्षा के लिए ये जरूरी हैं.

भारत उन 60 देशों में शामिल है जिन पर अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऑटोमोबाइल आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिसका असर टाटा मोटर्स और संवर्धन मदरसन जैसे ऑटो शेयरों पर पड़ने की संभावना है. मार्च 2025 में अमेरिका में आने वाले सभी स्टील और एल्युमीनियम पर फ्लैट ड्यूटी को बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया. ट्रंप ने पहले ही चीन से आयातित सभी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के एलान के बाद से एशियाई देशों पर असर पड़ा है. ट्रंप ने चीन पर 34 फीसदी, वियतनाम पर 46 फीसदी और कंबोडिया पर 49 फीसदी टैरिफ लगाया है. अमेरिकी टैरिफ से इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स, ज्वेलरी, ऑटो पार्ट्स, ऐल्यूमीनियम जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों पर असर पड़ सकता है. ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से विभिन्न देशों पर शुल्क लगाने की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘भारत हमसे 52 फीसदी शुल्क लेता है, इसलिए हम उनसे इसका आधा, 26 फीसदी शुल्क लेंगे.

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