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लखनऊः नगर निगम जोन 3 के जोनल अधिकारी बने रबर स्टैम्प,कंप्यूटर लिपिक सहित राजस्व निरीक्षक और कैशियर की भूमिका पर उठ रहे गंभीर सवाल


लखनऊ। नगर निगम में जहां एक ओर नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह दिन-रात मेहनत कर गृहकर वसूली का लक्ष्य बढ़ाने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर जोन-3 के भीतर कुछ श्कर्मठश् अधिकारी निगम की कोशिशों को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

ताजा मामला भारतेंदु हरिश्चंद्र वार्ड के अंतर्गत केडीटी प्लाजा (हाउस आईडीरू 9157ठ 53896) का है, जो नगर निगम की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े करता है। यहां 2024-25 में 9.5 लाख से ज्यादा का गृहकर बकाया था, लेकिन उसमें से करीब 4.94 लाख की ब्याज राशि बिना जोनल अधिकारी की जानकारी के माफ कर दी गई।

कहने को निगम के नियम सख्त हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इस संदिग्ध निर्णय में कंप्यूटर लिपिक मनोज वर्मा, राजस्व निरीक्षक इमरान खान और कैशियर हिमांशु यादव की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, इस पूरे खेल के सूत्रधार मनोज वर्मा हैं। कंप्यूटर सिस्टम पर अपनी पकड़ का लाभ उठाते हुए मनोज ने ब्याज माफी जैसे अहम निर्णय को बिना उच्च अनुमति के लागू किया। सवाल उठता हैकृक्या नगर निगम की फाइलें अब लिपिक ही चलाते हैं? सबसे हैरानी की बात यह है कि निगम ने अक्टूबर 2024 में चेक से भुगतान पर रोक लगा दी थी, बावजूद इसके 6 मार्च को यूनियन बैंक का चेक 4,56,083 की राशि के लिए स्वीकार किया गया। चेक डिशऑनर हो गयाकृपर कहानी यहीं खत्म नहीं होती। इसके बाद उसी राशि को फिर से जमा कर लिया गया, और उसे रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया।

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने बताया अगर पहली बार टैक्स जमा हो रहा है तो ब्याज माफ करना हमारे कानून में है।”अब सवाल उठता है कि क्या यह नियम कमर्शियल गतिविधियों पर भी लागू होता है?

क्या ये संकेत नहीं देता किकृलखनऊ में आप मनचाहे तरीके से कारोबार करते रहें, गृहकर न दें और जब कभी पकड़े जाएं, तो एकमुश्त भुगतान कर ब्याज माफ करा लें?

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह इस पूरे मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए हैं। जबकि नियमों का ऐसा खुला उल्लंघन हुआ, तो निगरानी व्यवस्था कहां थी?

सवाल सिर्फ 4.94 लाख का नहीं है। सवाल यह है कि क्या नगर निगम की नीतियां कुछ अधिकारियों की जेब में हैं? अगर ऐसे मनोज वर्मा सिस्टम में बने रहेंगे, तो आयवृद्धि का लक्ष्य सिर्फ सपना बनकर रह जाएगा।

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