आंध्र प्रदेश के पूर्व उप डाकपाल को 5 साल की सजा, कोर्ट ने ठोका 37.12 लाख का जुर्माना
March 30, 2025
विशाखापत्तनम की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के उत्तरावल्ली में तैनात रहे उप डाकपाल बोत्सा पेड़ा रामा राव को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के मजदूरी वितरण में गड़बड़ी और सरकारी धन के गबन के मामले में दोषी पाते हुए 5 साल कैद और 37.12 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
सीबीआई ने 23 मई 2016 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी. आरोप था कि बोत्सा पेड़ा रामा राव ने 11 जुलाई 2010 से 12 अक्टूबर 2015 तक डोंकिनवलसा और उत्तरावल्ली डाकघरों में उप डाकपाल के रूप में कार्य करते हुए एमजीएनआरईजीएस के तहत मजदूरी वितरण में फर्जीवाड़ा किया
वह मजदूरों को मिलने वाली असली मजदूरी के हिसाब से अधिक राशि दिखाकर सरकारी खाते से पैसे निकालते थे. साल 2013, 2014 और 2015 में उन्होंने पॉलटेरु, गोल्लादी, मल्लमपेटा, बदंगी, अकुलाकट्टा, कुनयावलसा, नंदीगाम और रेजेरु डाकघरों से मजदूरी भुगतान के नाम पर कुल 41,10,307 रुपये का हिसाब दिया, जबकि असल में सिर्फ 4,10,307 रुपये ही मजदूरों को दिए गए. इस तरह उन्होंने 37 लाख रुपये का गबन कर सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया और खुद को फायदा दिलाया
जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ 1 नवंबर 2016 और 18 जनवरी 2017 को तीन चार्जशीट दाखिल की. कोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी करार दिया और 5 साल की सजा सुनाई. इसके अलावा 37.12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) देश में बेरोजगारी दूर करने के लिए 2005 में शुरू की गई थी. इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में 100 दिन का रोजगार दिया जाता है. हालांकि, समय-समय पर इसमें भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आए हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि मजदूरी का भुगतान पोस्ट ऑफिस और बैंक खातों के जरिए होने से पारदर्शिता बढ़ी है, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी अब भी गड़बड़ी के रास्ते निकाल लेते हैं. सरकार ने इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कड़ी निगरानी की जरूरत बनी हुई है