लखनऊ । प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के निजीकरण संबंधी फैसले की जानकारी विधानसभा में दिए जाने से विभाग में भगदड़ का माहौल दिखाई दे रहा है बड़ी संख्या में इंजीनियरों द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लिए जाने का सिलसिला जारी है।
पिछले दो महीने में लगभग 15 बिजली इंजिनियरों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली है. वीआरएस लेने वालों में 8 चीफ इंजिनियर और 3 अधीक्षण अभियंता शामिल है।
कॉरपोरेशन के चेयरमैन ने इन इंजीनियरों के वीआरएस को मंजूरी दे दी है. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक हाल ही में तीन चीफ इंजिनियरों को उनके पद से हटाया गया था. ये तीनों चीफ इंजिनियर ऐसे थे, जिन्होंने वीआरएस के लिए अप्लाई किया था।
सूत्रों के मुताबिक अभी तक 11 इंजिनियरों का वीआरएस मंजूर हुआ है. लेकिन ऐसे 30 से अधिक इंजिनियर है, जिन्होने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है. इन इंजिनियरों का वीआरएस भी मंजूर होने की प्रक्रिया में है. मार्च तक वीआरएस लेने वाले इंजिनियरों की संख्या 50 के पार जा सकती है. निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जिन इंजिनियरों ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है. उसमें सभी इंजिनियर ऐसे हैं, जिनकी सेवा के 25 साल पूरे हो गए हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि 25 साल की सेवा पूरी होने के बाद इंजिनियरों को वीआरएस लेने के बाद भी पेंशन मिलती है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में इंजिनियर वीआरएस ले रहे हैं।
वही अपुष्ट खबरों के अनुसार निजीकरण किए जाने वाली कंपनियों का नामकरण अदानी ऊर्जा निगम के नाम से किए जाने की चर्चा जोरों पर है वहीं सूत्रों की माने तो अंदर खाने प्राइवेट कंपनी से डीलिंग हो जाने के बाद ही संबंधित इंजीनियरों द्वारा वीआरएस हेतु आवेदन किया गया एक सोची समझी रणनीति के तहत ही वीआरएस लेने वाले इंजीनियरों को तत्काल स्वीकृति प्रदान कर सेवानिवृत्ति दे दी गई।