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बीसलपुरः कैचुआ मे श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ


बीसलपुर। गांव कैचुआ में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में बदायूं से पधारीं कथा बाचिका बैजन्ती शास्त्री ने कथा के प्रथम दिवस सुनाई धुंधकारी की कथा  गांव कैचुआ में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथा बाचिका बैजन्ती शास्त्री ने कहा कि प्राचीन समय की बात है दक्षिण भारत की तुंगभद्रा नदी के तट पर एक नगर में आत्मदेव नामक एक व्यक्ति रहता था। जो सभी वेदों में पारंगत था। उसकी पत्नी का नाम धुन्धुली था। धुन्धुली बहुत ही सुन्दर लेकिन स्वभाव से क्रूर और झगडालू थी। घर में सब प्रकार का सुख था लेकिन वह व्यक्ति अपनी पत्नी से तो दुखी ही रहता था। उसे कोई संतान का सुख नहीं था। यह सब सोचकर उसने बड़े दुखी मन से अपने प्राण त्यागने के लिए वह वन चला गया। वन में एक तालाब में वह कूदने ही वाला था कि तभी एक संन्यासी ने उसे देखकर उससे पूछा, कहो वीप्रवण तुम्हे ऐसी कौन-सी भारी चिंता है जिसके कारण तुम प्राण त्याग रहे हो। आत्मदेव ने कहा, ऋषिवर मैं संतान के लिए इतना दुखी हो गया हूं कि मुझे अब अपना जीवन निष्फल लगता है। संतानहीन जीवन को धिक्कार है और मैंने जिस गाय को पाल रखा है वह भी बांझ है। यह तो ठीक है मैं जो पेड़ लगता हूं उस पर भी फल-फूल नहीं लगते हैं। मैं घर में जो फल लाता हूं वह भी बहुत जल्दी सड़ जाता है। इन सब बातों से मन दुखी हो चुका है। ऐसा कहकर वह व्यक्ति रोने लगता है। कथा के दौरान, धर्मवीर वर्मा, प्रेम प्रकाश वर्मा, अशोक कुमार वर्मा, नन्हेलाल वर्मा, विशाल माधुर, सुखलाल राना, संजीव वर्मा, सुरजीत कुमार, ओमप्रकाश वर्मा, मुनेन्द्र कुमार, विशाल, आकाश सहित तमाम भक्त मैजूद रहे।

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