कुशीनगरः चारपाई पर कुशीनगर की स्वास्थ्य सेवाएं, रास्ते में ही महिला ने तोड़ा दम
June 08, 2025
कुशीनगर। सेवरही थाना क्षेत्र के पिपराघाट देवनारायण टोला में एक महिला की तबीयत बिगड़ जाने पर उसे चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। समय से चिकित्सकीय सुविधा न मिलने के कारण उसकी मौत हो गई। वीडियो वायरल करने वाले शख्स ने एंबुलेंस न मिलने की वजह से महिला को चारपाई पर ले जाने की बात कही है। घटना 4 जून की बताई जा रही है। गमगीन परिवारीजन इस बारे में कुछ भी बताने से इन्कार कर रहे हैं।
गांव के लोगों ने बताया कि राम प्रसाद निषाद की पत्नी प्रभावती घटना के दिन दोपहर तक खेत में काम करके वापस आई। उसके बाद हैंडपंप पर हाथ-मुंह धो रही थी, तभी अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई और बेहोश होकर गिर गई। गांव की रूखी देवी का कहना है कि आने-जाने के लिए कच्ची सड़क ही है, जिस पर वाहन आने-जाने में दिक्कत होती है। सवारी के अभाव में परिजन गांव वालों के सहयोग से चारपाई पर लादकर प्रभावती को लगभग दो किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग तक ले गए, जहां वाहन से सेवरही सीएचसी ले जाया गया। बताते हैं कि रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी। गांव के उपेन्द्र यादव, मदन, प्रभुनाथ यादव व स्वामीनाथ यादव का कहना है कि सड़क का विवाद वर्षों से चला आ रहा है। आज भी कच्ची सड़क से आने-जाने को मजबूर हैं। वह भी कुछ लोगों के खेत से गुजर रही है। बरसात के दिनों में पैदल चलना दुश्वार हो जाता है।
102 एवं 108 एंबुलेंस सेवा शहर से लेकर हर गांव तक उपलब्ध कराई जा रही है। जहां एंबुलेंस नहीं जा पाती, वहां हमारे कर्मचारी मरीज को स्ट्रेचर से एंबुलेंस तक लाते हैं। फिर चाहे वह 500 मीटर दूर हो या एक किलोमीटर। कच्चा रास्ता हो या संकरी गली। मैं पता कर लेता हूं कि एंबुलेंस के लिए फोन आया था अथवा नहीं। यदि किसी एम्बुलेंसकर्मी की लापरवाही मिली तो कार्रवाई अवश्य होगी।
सीएमओ डॉ. अनुपम प्रकाश भास्कर ने कहा कि 102 एवं 108 एंबुलेंस के मामले में हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं होता। एंबुलेंस लखनऊ से संचालित होती हैं। फोन इनके कंट्रोल रूम को जाते हैं और वहीं से निकट के एंबुलेंस कर्मियों को मौके पर भेजा जाता है।
कुशीनगर जिले के गंडक नदी से सटे खड्डा, पडरौना और तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के कई गांवों की सड़कें कच्ची हैं अथवा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। वहां वाहन नहीं जा सकते। एंबुलेंस भी गांव में नहीं पहुंच पातीं। इस वजह से लोगों को समय से चिकित्सकीय सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे गांवों में अगर आग भी लग जाए तो उस पर समय से काबू पाना मुश्किल होता है।