चिनाब पुल उद्घाटन पर राजनीति तेज! इसकी नींव और शुरूआत कांग्रेस शासन के दौरान हुई जिसका प्रधानमंत्री मोदी ज़िक्र नहीं करते-जयराम रमेश
June 06, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (6 जून 2025) को जम्मू-कश्मीर में उधमपुर से बनिहाल तक बने दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे पुल का उद्घाटन किया है. इसके बाद उसी रास्ते पर बने अंजी ब्रिज का भी लोकार्पण किया. ये देश का पहला ऐसा पुल है, जो खास केबल स्टेड तकनीक से बनाया गया है.
प्रधानमंत्री की तरफ से किए गए इस पुल के उद्घाटन पर कांग्रेस ने सवाल उठाए है. कांग्रेस का दावा है कि इसकी नींव और शुरूआत कांग्रेस शासन के दौरान हुई जिसका प्रधानमंत्री मोदी ज़िक्र नहीं करते. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि शासन में निरंतरता होती है, यह एक सच्चाई है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने आत्म-प्रशंसा के निरंतर प्रयास में नजर अंदाज करते हैं. यह विशेष रूप से तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब बात अत्यंत चुनौतीपूर्ण विकास परियोजनाओं को लागू करने की होती है.
जयराम रमेश ने इसे जुड़े तथ्यों को सामने रखते हुये कहा कि 272 किलोमीटर लंबी उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लाइन (USBRL) को मार्च 1995 में मंज़ूरी दी गई थी, जब पी. वी. नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे. मार्च 2002 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब इसे एक राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया
जयराम रमेश ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि 26 जून 2013 तक बारामुला से काज़ीगुंड तक की 135 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पूरी तरह चालू हो चुकी थी. उधमपुर से कटरा तक की 25 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का उद्घाटन 2014 के लोकसभा चुनावों के चुनाव आचार संहिता के कारण स्थगित कर दिया गया था. यह उद्घाटन नए प्रधानमंत्री की ओर से 4 जुलाई 2014 को किया गया, जो कि उनके कार्यभार संभालने के 39 दिन बाद की बात थी.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आगे कहा कि 2014 के बाद से, कटरा से बनिहाल तक की 111 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पूरी की गई है, जिसके लिए अधिकांश ठेके पहले ही दिए जा चुके थे. उदाहरण के लिए, प्रतिष्ठित चिनाब पुल के लिए ठेके 2005 में ही कोकण रेलवे कॉर्पोरेशन, अफकॉन, वीएसके इंडिया और दक्षिण कोरिया की अल्ट्रा कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड को दिए जा चुके थे.
चिनाब पुल के उद्घाटन पर जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस जम्मू और कश्मीर की जनता को इस ऐतिहासिक अवसर पर शुभकामनाएं देती है. वह भारतीय रेलवे के कर्मियों और सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की उन सभी कंपनियों को भी बधाई देती है जिन्होंने पिछले तीन दशकों में USBRL परियोजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया. यह हमारी सामूहिक संकल्पशक्ति और कठिन से कठिन परिस्थितियों में मिली सफलता का प्रतीक है.