रोबर्टसगंज। राजस्व के मामले में भारी फर्जीवाड़ा का,खेल 42 बीघा जमीन फर्जी बेटा बनकर करा लिया वरासत - सात पर एफआईआर दर्ज।
दूसरी जांच टीम में शामिल एडीओ आईएसबी अनंत सिंह और सचिव अश्विनी श्रीवास्तव ने पूर्व की रिपोर्ट को दरकिनार कर जानबूझकर जांच की दिशा बदल दी।
सोनभद्र। रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के परही गांव में जालसाजी का बड़ा मामला सामने आया है। एक व्यक्ति ने खुद को मृतक का फर्जी बेटा दिखाकर 42 बीघे भूमि की अवैध वरासत करा ली। इसमें राजस्व व ब्लॉक कर्मचारियों की भी मिलीभगत का आरोप है। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने सात नामजद समेत कई सरकारी कर्मचारियों पर धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक साजिश समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। परही गांव निवासी सोहन ने न्यायालय में बताया कि उनके नाना वंशी यादव की केवल दो बेटियां, उनकी मां गांगी देवी और मौसी रामपति हैं। भूमि हड़पने की नीयत से वंशी के भाई रामनंदन (अब दिवंगत) के पुत्र राधेश्याम और रामसूरत ने खुद को वंशी का बेटा दिखाते हुए सरकारी अभिलेखों में फर्जी तरीके से नाम दर्ज करवा लिया और 42 बीघे जमीन अपने नाम वरासत करा ली।
शिकायतकर्ता के अनुसार जब इस धोखाधड़ी की जानकारी हुई तो उनकी मां और मौसी ने रॉबर्ट्सगंज एसडीएम को पत्र देकर सही दस्तावेज प्रस्तुत किए और कुटुम्ब रजिस्टर में संशोधन की मांग की।
एसडीएम के आदेश के बाद भी बीडीओ करमा ने कार्रवाई नहीं की। बाद में डीएम के हस्तक्षेप पर जांच टीम गठित हुई, जिसमें स्पष्ट हुआ कि वंशी यादव के कोई पुत्र नहीं थे, केवल दो बेटियां थीं। बावजूद इसके रिपोर्ट को जांच टीम ने दबा दिया।
शिकायत में यह भी आरोप है कि दूसरी जांच टीम में शामिल एडीओ आईएसबी अनंत सिंह और सचिव अश्विनी श्रीवास्तव ने पूर्व की रिपोर्ट को दरकिनार कर जानबूझकर जांच की दिशा बदल दी। गंभीर पितृत्व विवाद को मामूली ग्रामसभा प्रस्ताव की तरह निपटाकर रिपोर्ट को समाप्त कर दिया गया। फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर अजय यादव ने नाना की दो बेटियां और दो बेटे होने का कागज तैयार कराया, जिससे मामला और उलझ गया। अब कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने राधेश्याम, रामसूरत, सुभाष (रामसूरत का दामाद), लवकुश, श्रीनिवास, प्रदीप, अजय, जितेंद्र पाल के अलावा राजस्व व ब्लॉक विभाग से जुड़े अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
देखना यह है कि आखिर इतनी बड़ी प्रक्रिया में संबंधित अधिकारियों द्वारा इसे चूक करने का नाम देकर इसे महज कुछ औपचारिक कार्रवाई तक रखा जाता है या फिर क्यों न माना जाए कि जिम्मेदार अधिकारी ही इसमें सबसे बड़े कारण हैं। बरहाल मामले को उजागर होने के बाद हर किसी की निगाह अब आगे की जांच के रिपोर्ट पर टिकी हुई है। वही थाना प्रभारी सतेंद्र राय ने बताया कि न्यायालय के आदेस पर 316,319,338,336,340,351,352 के तहत साथ नाम जद व राजस्व विभाग व ब्लाक के कमर्चारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है जांच चल रही है।