बगलामुखी जयंती क्यों मनाई जाती है? जानें पूजा के लाभ
May 05, 2025
आज यानी कि 5 मई को बगलामुखी जयंती मनाई जा रही है। वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी बगलामुखी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि इस बार दो दिनों की पड़ रही है जिसमें आज उदया तिथि अष्टमी होने की वजह से बगलामुखी जयंती आज मनाई जाएगी। आपको बता दें कि देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इनकी उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से मानी जाती है और इन्हें पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल पीताम्बरा का अर्थ होता है पीले हैं वस्त्र जिसके, यानि जिसने पीले वस्त्र धारण किये हों और देवी बगलामुखी को पीला रंग बहुत ही प्रिय है। देवी मां पीले रंग के वस्त्र धारण करती हैं और इनकी पूजा करने वाले व्यक्ति को भी कोशिश करके पीले रंग के ही वस्त्र धारण करने चाहिए। साथ ही देवी मां की पूजा में अधिक से अधिक पीले रंग की चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है।
मां बगलामुखी को शत्रुनाश की देवी भी कहा जाता है। इनकी नजरों से कोई शत्रु नहीं बच सकता। लिहाजा मां बगलामुखी की पूजा शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए और कोर्ट-कचहरी से संबंधित कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए रामबाण है और आज का दिन मां बगलामुखी की उपासना के लिए बहुत ही श्रेष्ठ है। अनेक ग्रंथों में आप जिस ब्रह्मास्त्र विद्या के प्रयोग के बारे में सुनते हैं, जिसका प्रयोग महाभारत में अश्वत्थामा ने अर्जुन पर किया था और उसके जवाब में अर्जुन ने भी अश्वत्थामा पर ब्रह्मास्त्र प्रयोग किया था, वह ब्रह्मास्त्र विद्या कुछ और नहीं बल्कि देवी बगलामुखी ही हैं । देवी बगलामुखी ही ब्रह्मास्त्र विद्या हैं। आज हम आपको उस ब्रह्मास्त्र विद्या के बारे में सारी जरूरी बातें बताएंगे। आज हम आपको देवी बगलामुखी के उस खास 36 अक्षरों के मंत्र का प्रयोग बताएंगे, जिसे सिद्ध करके आप कुछ भी पा सकते हैं।
मंत्रमहोदधि के अनुसार देवी बगलामुखी का वह 36 अक्षरों का मंत्र इस प्रकार है, आप चाहें तो इसे नोट भी कर सकते हैं- ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा। आज के दिन देवी बगलामुखी के इस विशेष मंत्र का जप करने से आपको अपने शत्रुओं पर विजय के साथ ही कोर्ट-कचहरी के मामलों में भी जीत हासिल होगी और आपको किसी प्रकार का भय नहीं सतायेगा, आप खुद को हर तरह से सुरक्षित महसूस करेंगे। साथ ही आपको लंबी आयु की प्राप्ति होगी और आपको हर तरह की परीक्षा में सफलता मिलेगी। लेकिन आपको बता दें कि देवी बगलामुखी के मंत्र को सिद्ध करने से भी पहले देवी मां के यंत्र की स्थापना करनी चाहिए और वो किस प्रकार करनी है ये हम आपको अभी बता देते हैं।
इसके लिए सबसे पहले देवी बगलामुखी के धातु आदि से बने यंत्र को एक बर्तन में, अगर संभव हो तांबे के बर्तन में स्थापित करके, पहले उस पर घी का अभ्यंग करें यानि घी से यंत्र को स्नान कराएं। फिर दूध और जल की धारा यंत्र पर डालिए। फिर साफ कपड़े से यंत्र को अच्छी तरह से पोंछिये और पीठ आदि के बीच में पुष्पों पर यंत्र को स्थापित कीजिये। फिर देवी बगलामुखी का ध्यान करते हुए यंत्र पर पीले फूलों से पुष्पांजलि दें और धूप-दीप आदि से उसकी पूजा करें। इस प्रकार देवी मां का ध्यान करके, यंत्र स्थापित कर पूजा आदि के बाद देवी मां को नमस्कार करते हुए मंत्र जप शुरू करें।
इस मंत्र का पुरश्चरण वैसे एक लाख जप है, लेकिन आज के दिन अगर आप दस हजार मंत्रों का जप भी करें, तो आपके लिए फायदेमंद होगा। अगर किसी कारणवश आपके लिए उतना जप करना भी संभव नहीं है तो आप केवल हजार मंत्रों का ही जप कीजिये। इससे आपके काम में आ रही समस्याएं दूर होगी। साथ ही आपको एक ध्यान देने योग्य बात बता दें कि आप जितना भी जप करें, उसके दसवें हिस्से के बराबर आपको हवन करना चाहिए, हवन के दसवें हिस्से के बराबर तर्पण करना चाहिए, तर्पण के दसवें हिस्से के बराबर मार्जन करना चाहिए और मार्जन के दसवें हिस्से के बराबर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। उदाहरण के लिए मान लीजिये आप दस हजार मंत्रों का जप कर रहे हैं, तो आपको हजार बार हवन करना चाहिए, सौ बार तर्पण करना चाहिए, दस बार मार्जन करना चाहिए और एक ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए, लेकिन अगर आप ये सब चीज़ें करने में समर्थ न हो तो आपको उस क्रिया के हिस्से को भी जप में जोड़ लेना चाहिए। जैसे अगर आप हवन नहीं कर सकते, तो दस हजार मंत्रों में हजार मंत्र हवन के नाम के और जोड़ लीजिये, यानि अब आपको ग्यारह हजार मंत्रों का जप करना है।
इसी प्रकार आप बाकी की प्रक्रियाओं की संख्या भी जप में जोड़ सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे ब्राह्मण भोज जरूर कराना चाहिए, इसकी संख्या जप में नहीं जोड़नी चाहिए। साथ ही मंत्र जप के लिए साधक को पीले रंग के वस्त्र पहनकर, पीले रंग के आसन पर बैठना चाहिए और पीले रंग की हल्दी से बनी हुई माला से मंत्र जप करना चाहिए।
देवी मां की पूजा और मंत्र जप आदि के बाद आप देवी के यंत्र को उठाकर अपने मंदिर में स्थापित कर सकते हैं और अगर चाहें तो गले में भी धारण कर सकते हैं, लेकिन याद रहे इस यंत्र को धारण करने के लिए या मंदिर में स्थापित करने के लिए रात का समय चुनना चाहिए। ऐसा करने से आपकी हर परेशानी का हल निकलेगा और किसी भी अनहोनी से आपकी सुरक्षा होगी।