पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम को भारत बुलाने पर ट्रोल हुए नीरज चोपड़ा
April 25, 2025
पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश के लोगों में गुस्सा है. वो पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ बदला चाहते हैं. इसी बीच एथलीट नीरज चोपड़ा सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम को भारत बुलाने के मुद्दे पर लगातार ट्रोल हो रहे हैं. अब उन्होंने इस पर सफाई दी है और कहा है कि मेरी ईमानदारी पर सवाल उठते देखना दुखद है.
अगले महीने 24 तारीख को बेंगलुरु में एनसी क्लासिक इवेंट का आयोजन होना है. भारत में विश्व एथलेटिक्स ए-लेवल इवेंट के आयोजक के रूप में नीरज ने दुनिया भर के शीर्ष भाला फेंक खिलाड़ियों को आमंत्रित करने की जिम्मेदारी संभाली.
नीरज ने पेरिस ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाले अरशद नदीम को भी इवेंट के लिए बुलावा भेजा था. लेकिन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशवासी गुस्सा हैं और इस वजह से नीरज चोपड़ा को भी आलोचना का शिकार होना पड़ा. इस हमले में 25 पर्यटक और एक स्थानीय की मौत हो गई. अरशद नदीम को भारत में होने वाले इवेंट के लिए आमंत्रित करने के लिए नीरज की आलोचना होने लगी, लोग उनकी देशभक्ति पर भी सवाल उठाने लगे.
आलोचना और उनकी देशभक्ति पर सवाल उठने से आहत स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि बेशक मैं कम बोलने वाला व्यक्ति हूं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं गलत के खिलाफ नहीं बोलूंगा.
नीरज ने लिखा, "मैं आमतौर पर कम बोलने वाला व्यक्ति हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं जो गलत समझता हूं उसके खिलाफ नहीं बोलूंगा. खासकर तब जब बात हमारे देश के प्रति मेरे प्यार और मेरे परिवार के सम्मान और प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने की आती है."
नीरज ने लिखा, "पिछले 48 घंटों में जो कुछ भी हुआ है, उसके बाद एनसी क्लासिक में अरशद की मौजूदगी का सवाल ही नहीं उठता. मेरा देश और उसका हित हमेशा सबसे पहले रहेगा."
"जो लोग अपने लोगों के नुकसान से गुज़र रहे हैं, उनके लिए मेरी संवेदनाएँ और प्रार्थनाएँ उनके साथ हैं. पूरे देश के साथ-साथ, जो कुछ हुआ है, उससे मैं भी आहत और क्रोधित हूँ. मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे देश की प्रतिक्रिया एक राष्ट्र के रूप में हमारी ताकत दिखाएगी और न्याय मिलेगा."
उन्होंने लिखा, "मैं इतने सालों से देश के प्रति गर्व के साथ खड़ा हूं, और इसलिए मेरी ईमानदारी पर सवाल उठते देखना दुखद है. मुझे दुख होता है कि मुझे उन लोगों के सामने खुद को समझाना पड़ता है जो बिना किसी वाजिब कारण के मुझे और मेरे परिवार को निशाना बना रहे हैं. हम साधारण लोग हैं, कृपया हमें कुछ और न समझाएं. मीडिया के कुछ वर्गों ने मेरे बारे में बहुत सारी झूठी कहानियां गढ़ी हैं, लेकिन सिर्फ इसलिए कि मैं नहीं बोलता, इसका मतलब यह नहीं है कि यह सच है."
"मुझे यह समझना भी मुश्किल लगता है कि लोग कैसे अपनी राय बदलते हैं. जब मेरी मां ने, अपनी सादगी में, एक साल पहले एक मासूम टिप्पणी की थी, तो उनके विचारों की प्रशंसा की गई थी. आज, वही लोग उसी बयान के लिए उन्हें निशाना बनाने से पीछे नहीं हटे हैं."