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प्रवर्तन निदेशालय प्रवर्तन निदेशालय: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लक्ष्मी प्रिसीजन स्क्रूज कंपनी की 156 करोड़ की संपत्तियां जब्त


प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 31 मार्च 2025 को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए लक्ष्मी प्रिसीजन स्क्रूज प्राइवेट लिमिटेड (M/s Lakshmi Precision Screws Pvt. Ltd.) से जुड़ी 12 अचल संपत्तियां जब्त की हैं. इन संपत्तियों की कुल कीमत 156.33 करोड़ रुपये बताई जा रही है. ये कार्रवाई कंपनी द्वारा केनरा बैंक और SBI से लिए गए 176.70 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट मामले में की गई है.

ED ने जिन संपत्तियों को अटैच किया है, उनमें दिल्ली, मुंबई, गुरुग्राम और रोहतक की 12 अचल संपत्तियां शामिल हैं. इनमें 7 कमर्शियल लैंड (20 एकड़ से ज्यादा जमीन), 4 एकड़ की एग्रीकल्चर लैंड (रोहतक और गुरुग्राम में) और 4 कमर्शियल फ्लैट-कम-ऑफिस (मुंबई और दिल्ली में) शामिल हैं.

ED ने ये जांच CBI द्वारा दर्ज FIR के आधार पर शुरू की थी. ये FIR कंपनी लक्ष्मी प्रिसीजन स्क्रूज प्रा. लि. इसके प्रमोटर ललित के जैन, राजेश के जैन, विजय कुमार जैन और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई थी. इनके खिलाफ IPC की धारा 120-B और 420 के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप लगे हैं. आरोपों के मुताबिक, कंपनी ने बैंकों को गुमराह कर लोन लिया और बैंकों को भारी नुकसान पहुंचाया. इसके अलावा बैंकों की सहमति के बिना गिरवी रखी गई संपत्तियों को बेच दिया और कर्ज की रकम को दूसरी कंपनियों के साथ मिलकर गलत तरीके से इस्तेमाल किया.

इस मामले में CBI ने चार्जशीट दायर की है. वहीं, कंपनी के रिज़ॉल्यूशन प्रोसेस पर अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है और NCLT ने कंपनी के लिक्विडेशन की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है. ED की जांच में सामने आया कि कंपनी ने बैंक से ज्यादा क्रेडिट लिमिट हासिल करने के लिए झूठे और फर्जी स्टॉक स्टेटमेंट जमा किए. साथ ही, कंपनी ने लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) के तहत मिले फंड को ट्रेडिंग के नाम पर डायवर्ट किया.

इसके अलावा कंपनी ने गिरवी रखी हुई जमीन को बिना बैंकों की अनुमति के दूसरी जमीन के साथ बदल दिया. इस तरह कंपनी ने बैंकों को धोखा देकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की. ED की जांच अभी भी जारी है और संभावना है कि इस मामले में और भी संपत्तियों की जब्ती हो सकती है.

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