पंजाब के किसान आज पैदल दिल्ली कूच करेंगे, हरियाणा में पुलिस का सख्त पहरा
पंजाब के किसान आज दिल्ली कूच करेंगे। जानकारी के अनुसार, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह पंधेर करीब 100 किसानों के साथ शुक्रवार दोपहर एक बजे शंभू बॉर्डर से दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। किसान संगठनों ने आंदोलन को ‘दिल्ली चलो’ का नाम दिया है। शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि मोर्चे को चलते 297 दिन हो गए है और खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन 11वें दिन में प्रवेश कर गया है। आज दोपहर 1 बजे 101 किसान-मजदूर का जत्था शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच करेगा।
सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हम लोग पिछले आठ महीने से यहां पर बैठे हैं। हमारी मांगों को सरकार ने अनसुना किया है। इसलिए हमने दिल्ली पैदल मार्च करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि अगर अब भी सरकार उन्हें मार्च निकालने से रोकती है तो यह उनके लिए नैतिक जीत’ होगी। केंद्र और राज्यों में सत्ताधारी पार्टियों के नेता नियमित रूप से कहते रहे हैं कि अगर किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं लाते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसलिए अगर हम पैदल दिल्ली जाते हैं, तो किसानों को रोकने का कोई कारण नहीं होना चाहिए।
वहीं, हरियाणा पुलिस ने किसानों के दिल्ली मार्च के मद्देनजर अंबाला-दिल्ली सीमा पर बैरिकेडिंग कर दी है। अंबाला के एसपी सुरेंद्र सिंह भोरिया का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। मैं सभी किसानों से शांति बनाए रखने का अनुरोध करता हूं। वे आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद दिल्ली जा सकते हैं। कानून का पालन करना हमारा कर्तव्य है।
अंबाला जिला प्रशासन ने बीएनएसएस की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया है, जिसमें जिले में पांच या अधिक व्यक्तियों की किसी भी गैरकानूनी सभा पर रोक है। उपायुक्त द्वारा जारी आदेश के मुताबिक अगले आदेश तक पैदल, वाहन या अन्य साधनों से कोई भी जुलूस निकालने पर रोक लगा दी गयी है।
आदेश में कहा गया है कि ऐसी आशंका है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पंजाब और हरियाणा से आएंगे और दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होंगे। इसलिए, बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी करने समेत सीमा बिंदुओं पर और जिले में उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है ताकि पूर्व अनुमति के बिना ऐसे किसी भी व्यक्ति की आवाजाही की अनुमति न दी जा सके।
किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा, किसान कृषि ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न करने, पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केस वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी दो मांगें हैं।