अमेठीः पुलिस से नहीं मिला न्याय, न्यायालय की शरण में पीड़ित
विधान केसरी समाचार
अमेठी। अमूमन पुलिस विभाग से बिरले ही पीड़ित होते हैं जिन्हें न्याय मिल पाता है । ऐसा ही एक प्रकरण अमेठी जनपद में कार्यरत पत्रकार अशोक पांडेय के पिता माता प्रसाद पांडेय का आया है । जिन्हें पुलिस से न्याय नहीं मिला तो उनके द्वारा उच्च न्यायालय में अर्जी डाली गई। उच्च न्यायालय ने प्रश्न किया कि किस आदेश से दीगर बंजर गाटा संख्या 1245 1246 शिव महेश के नाम अंकित हुआ। दरअसल अमेठी ग्राम सभा जामो की दीगर बंजर की जमीन गाटी संख्या 1245 1246 को शिव महेश पांडेय ने 2880 का 2882 के रूप में अपने नाम दर्ज करा लिया और जबरदस्ती जमीन पर कब्जा करने लगे। इसके साथ ही पीड़ित के आवागमन में भी बाधा उत्पन्न करने लगे तो माता प्रसाद पांडेय ग्राम पूरे जिया पांडेय थाना जामो जनपद अमेठी ने कहा कि यह जमीन तो दीगर बंजर की है। तब शिव महेश पांडेय सुत रामदास पांडेय ग्राम पूरे जिया पांडेय ने कहा कि यह जमीन मैंने अपने नाम सरकारी अभिलेखों में दर्ज कर लिया है । 1245 1246 के रूप में अब हमारे नाम 2880 का 2882 के रूप में दर्ज है जिसका संक्रमणीय भूमधर के रूप में मैं मालिक हूं ।
यह कहते हुए कब्जा करने लगे और प्रताड़ित करने लगे । जिस पर पुलिस में एफआईआर दर्ज करने के लिए माता प्रसाद पाण्डेय ने थाना जामों पर प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर कोई सुनवाई नहीं हुई पुलिस अधीक्षक को भी प्रार्थना पत्र दिया गया कोई सुनवाई नहीं हुई। तब फिर सीजेएम कोर्ट में भी मामला माता प्रसाद पांडेय ले गए लेकिन वहां यह कह करके खारिज कर दिया गया कि मामला सिविल प्रकृति का है और फिर जिला सत्र न्यायालय का दरवाजा भी माता प्रसाद पांडेय ने खटखटाया सत्र न्यायालय सुलतानपुर ने भी वही रुख किया सिविल प्रकृति का का कह कर के खारिज कर दिया तब वादी माता प्रसाद पांडेय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ लखनऊ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया वरिष्ठ अधिवक्ता सुधाकर मिश्रा के द्वारा अपनी बात न्यायालय में रखा जिस पर न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों को यह आदेश दिया है कि शिव महेश पांडे ने किस आदेश से दीगर बंजर की जमीन अपने नाम अंकित कराया है यह अधिकारियों से मांगा है कुल मिलाकर मामला उच्च न्यायालय में आने के बाद में और यह आदेश मांगने के बाद में फंस गया है । अंततः वादी को न्याय मिलेगा और मामले पर कड़ी कार्यवाही होगी यह माता प्रसाद पांडे को अब भरोसा हो गया है। यह दीगर बंजर की जमीन अधिकारियों कर्मर्चारियों लेखपाल को मिला करके कूट रचना करके फर्जी तरीके से जालसाजी से अपने नाम दर्ज कर लिया था । जिस पर उच्च न्यायालय के संज्ञान के पश्चात पीड़ित को न्याय की उम्मीद बंध गई है।