अमेठीः भगवान कथा का श्रवण करने से राजा परिक्षित पहुंचे परमधाम
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अमेठी। भेंटुआ के पूरे पाण्डेय मजरे टिकरी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें कथा व्यास देवव्रत जी महराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोह आदि प्रसंगो का सुन्दर वर्णन किया। सुदामा जी भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा थे।और सुदामा जी को भगवान श्रीकृष्ण के सबसे परम मित्र भी कहे जाते थे। सुदामा जी भिक्षा मांग कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। सुदामा जी की पत्नी सुशीला जी बार बार कहती थी कि द्वारिका धीश भगवान श्री कृष्ण आपके मित्र हैं इस दुख की घड़ी में उनसे मिलो और कुछ मदद मांगों। पत्नी के कहने पर सुदामा जी भगवान श्रीकृष्ण से मिलने गये और द्वारपाल की सूचना पर नंगे पैर भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा से मिलने आये और गले लगाया, सुदामा जी के पैर धुले उन्हें सिंहासन पर बैठकर सुदामा जी की आरती उतारी पटरानियां उनसे आशीर्वाद लिया।
सुदामा जी जब द्वारिका पुरी से वापस लौटते हैं तो। देखा कि यहां उनकी कुटिया की जगह पक्का मकान बन गया है लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस वाली कुटिया में ही बैठकर भगवान का स्मरण करते थे।अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन की श्रीमद्भागवत कथा सुनाई, जिससे उनके मन में मृत्यु का भय निकल गया।तक्षक नाग आता है और राजा परिक्षित को डस लेता है।राजा परिक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते हैं। गुरुवार को हवन कलश विसर्जन एवं शुक्रवार को भंडारे के साथ कथा सम्पन्न हो जाएगा।कथा के अंतिम दिन मुख्य यजमान ओमप्रकाश पाण्डेय राजेन्द्र पाण्डेय, सहित गांव के हर घर के जन जन पंडाल में पहुंच कर अमृत वर्षा रूपी कथा के अंतिम दिन की कथा का रसपान करने के बाद प्रसाद लेकर भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगाते अपने-अपने घरों को चले गए।