भारत में बाल विवाह पर रोक के लिए सरकार ने शुरू की मुहिम
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बुधवार को ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ पोर्टल का शुभारंभ किया, ताकि बाल विवाह जैसी प्रथाओं को रोका जा सके। इस मौके पर अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि 10 साल पहले सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान शुरू किया था, जिसका उद्देश्य बेटी के प्रति समाज के दृष्टिकोण में बदलाव लाना था। यह सफलता उस बदलाव का प्रतीक है। अब हमारा अगला कदम लड़कियों को अपने सपने पूरा करने का रास्ता देना है और बाल विवाह जैसी प्रथाओं को उनके विकास में बाधा बनने से रोकना है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत को बाल विवाह पर नियंत्रण लगाने के लिए वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दक्षिण एशिया में बाल विवाह में सबसे बड़ी कमी आई है, जिसका प्रमुख कारण भारत का प्रयास है।
हालांकि, भारत के कई हिस्सों में बाल विवाह की प्रथा अभी भी व्यापक रूप से फैली हुई है। इस अभियान का मुख्य फोकस सात उच्च-बोझ वाले राज्यों- पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, राजस्थान, त्रिपुरा, असम और आंध्र प्रदेश पर होगा, जहां बाल विवाह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। सरकार का उद्देश्य 2029 तक बाल विवाह की दर को 5% से नीचे लाना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बाल विवाह दर 2006 में 47.4% थी, जो 2019-21 में घटकर 23.3% हो गई है।
‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ पोर्टल का उद्देश्य बाल विवाह निषेध अधिकारियों (CMPOs) की निगरानी को मजबूत करना है और उनकी भूमिका को सक्रिय बनाना है। इसके अलावा पोर्टल पर उपयोगकर्ताओं के लिए बाल विवाह की रिपोर्टिंग प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने की कोशिश की गई है, ताकि पीड़ितों और गवाहों को रिपोर्टिंग के लिए प्रेरित किया जा सके। इस अभियान के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय सुरक्षा, सुरक्षा और सामाजिक जागरूकता जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी पहलुओं का उपयोग बाल विवाह के कारणों और इसके प्रभावों को दूर करने के लिए किया जा रहा है।
मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने मीडिया का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मीडिया ने ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ का संदेश देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंचाने में मदद की है।” उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे बाल विवाह रोकने की शपथ लें, इसे अपने समुदायों में होने से रोकें और स्थानीय अधिकारियों को मामलों की रिपोर्ट करें। अन्नपूर्णा देवी ने इस अभियान को एक विस्तृत दृष्टिकोण के रूप में पेश किया, जो 2047 तक विकसित भारत बनाने के उद्देश्य से लड़कियों को महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में केंद्रीय भूमिका देने के प्रयासों का हिस्सा है।
इस अभियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में कहा था कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को व्यक्तिगत कानूनों से सीमित नहीं किया जा सकता और कानून में मौजूद अंतराल को स्वीकार करते हुए समुदाय-आधारित उपायों और कानून प्रवर्तन क्षमता निर्माण पर जोर दिया था।