विपक्ष के आगे झुकी सरकार, जेपीसी का कार्यकाल बढ़ा

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संसद के शीतकालीन सत्र का चौथा दिन (28 नवंबर 2024) भी बेशक विपक्ष की ओर से हंगामे की भेंट चढ़ गया हो और कार्यवाही न हो सकी हो, लेकिन गुरुवार (28 नवंबर 2024) को सदन स्थगित होने से पहले एक बड़ी घटना हुई.

इसके तहत लोकसभा ने वक्फ संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के विस्तार का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. सत्र के पहले हफ्ते के अंतिम दिन यानी शुक्रवार को जेपीसी को वक्फ बिल पर अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करनी थी. यह इस सत्र के एजेंडे में भी शामिल था, लेकिन जेपीसी में शामिल विपक्षी दलों के सांसद कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे थे. हालांकि, समिति की अगुवाई कर रहे बीजेपी के सांसद जगदंबिका पाल का दावा था कि हमारी रिपोर्ट तैयार है.

गुरुवार को संसद की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू हुई, लेकिन अडानी रिश्वतकांड और संभल बवाल मामले पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा देखकर लोकसभा स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. 12 बजे के बाद सदन की कार्यवाही फिर से सुरू हुई. इस दौरान जेपीसी के प्रमुख जगदंबिका पाल ने और समय की मांग करते हुए कार्यकाल बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया जिसे पारित कर दिया गया. जेपीसी अब चालू शीतकालीन सत्र के पहले हफ्ते के अंतिम दिन यानी 29 नवंबर की जगह बजट सत्र 2025 के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करेगी.

वहीं, विपक्षी दलों के हंगामे के बीच वक्फ बिल पर बनी जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव पारित होने के बाद संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के व्यवहार की निंदा की. किरेन रिजिजू ने कहा कि सारे विपक्ष के नेता और बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के सदस्यों ने जो बिल आने वाले हैं, उनके लिए समय निर्धारित किया था. हमने यह आग्रह भी किया था कि जो बिल आने हैं उन पर चर्चा के लिए उचित समय दिया जाए. उन्होंने कहा कि इसके अलावा जो अलग-अलग मुद्दे आने वाले हैं, उन पर भी चर्चा के लिए अलग रूल बने हुए हैं. यहां कांग्रेस पार्टी और उसके साथियों ने हंगामा करके अपने ही बनाए रूल को तोड़ने का जो काम किया है, इसकी निंदा करता हूं. ये सही नहीं है.