कश्मीर और लद्दाख में सर्दी का कहर

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सर्दियों की आधिकारिक शुरुआत से पहले ही कश्मीर घाटी और लद्दाख क्षेत्र में गंभीर शीत लहर का असर दिखने लगा है. मौसम विभाग के अनुसार अगले 72 घंटों के दौरान बर्फबारी की संभावना जताई जा रही है क्योंकि तीन पश्चिमी विक्षोभ इस क्षेत्र में एक्टिव होने वाले हैं. इन विक्षोभों से तापमान में और गिरावट आने की संभावना है जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हो सकता है.

गुरुवार यानी आज श्रीनगर में न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई जो -2.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. ये इस समय के सामान्य न्यूनतम तापमान से काफी कम था और इसे कश्मीर घाटी में कठोर सर्दी की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है. इस तापमान में गिरावट चिल्लई कलां की शुरुआत की ओर संकेत कर रही है जो कश्मीर में 40 दिनों की सबसे कठोर सर्दी की अवधि होती है. बता दें कि ये अवधि 21 दिसंबर से शुरू होकर 30 जनवरी तक चलती है.

इस सर्दी का असर पूरे क्षेत्र में महसूस हो रहा है जहां रात के समय का तापमान शून्य से -2 से -5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है. हालांकि दक्षिणी जिले जैसे शोपियां को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है जहां न्यूनतम तापमान -5.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. लद्दाख क्षेत्र में भी भीषण शीत लहर का सामना करना पड़ रहा है. लेह में तापमान -8.8 डिग्री सेल्सियस, कारगिल में -8.3 डिग्री सेल्सियस और द्रास में -12.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया जो क्षेत्र का सबसे ठंडा स्थान है.

मौसम विभाग ने लद्दाख क्षेत्र के लिए एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें अगले 12 घंटों में मौसम में सुधार की संभावना जताई गई है. साथ ही 30 नवंबर और 2-3 दिसंबर को लद्दाख के कई इलाकों विशेषकर जोजिला में बर्फबारी का अनुमान है जिससे सड़क परिवहन गतिविधियों में परेशानी होने की संभावना है.

चिल्लई कलां के 40 दिनों की सबसे ठंडी अवधि से पहले इस भीषण ठंड के आगमन ने मौसम विभाग की भविष्यवाणी को सही साबित किया है जिसमें कहा गया था कि इस साल सर्दियां बहुत कठोर हो सकती हैं. इस अवधि में क्षेत्र में तेज ठंड और लगातार बर्फबारी के साथ श्रीनगर की प्रसिद्ध डल झील के कई हिस्से जमे हुए नजर आते हैं जो आम जनजीवन को प्रभावित करते हैं

कश्मीर घाटी में तापमान में गिरावट और सर्दी के प्रभाव को देखते हुए निवासी और अधिकारी इस स्थिति के लिए तैयार हैं. विशेषकर शोपियां, कुपवाड़ा, गुरेज, तंगधार और पीर पंजाल के दक्षिण जैसे ऊंचाई वाले और दूरदराज क्षेत्रों में ठंड का असर सबसे ज्यादा देखा जा सकता है.