उन्नाव: टला बड़ा हादसा: गंगाघाट पुल का जर्जर हिस्सा नदी में गिरा

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विधान केसरी समाचार

उन्नाव। जिमें में गंगाघाट थाना अंतर्गत कानपुर -शुक्लागंज मार्ग पर स्थित पुराना गंगापुल जो ब्रिटिश काल से पिछले चार सालों से बंद पड़ा था, सोमवार रात भरभरा कर गंगा नदी में गिर गया। यह पुल कानपुर और उन्नाव जिले के बीच स्थित था, और इसके गिरने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया।पुल का निर्माण 1874 में हुआ था और इसे लगभग 150 साल पहले ब्रिटिश शासन के दौरान अवध एंड रूहेलखंड लिमिटेड कंपनी ने बनाया था। पुल के गिरने से न केवल ऐतिहासिक धरोहर का नुकसान हुआ, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच चिंता का माहौल भी बन गया है।

वर्ष 2021 में पुल की कनपुर की तरफ से 2, 10, 17, 22 नंबर की कोठियों में दरारें आ गई थीं, जिसके बाद इसे यातायात के लिए बंद कर दिया गया था। पुल की कानपुर और उन्नाव दोनों तरफ की दीवारें बनाई गई थीं ताकि लोग इसे पार न कर सकें।वहीं, कानपुर की ओर से पुल को पिकनिक स्पॉट बनाने की योजना भी चल रही थी, लेकिन इससे पहले ही यह हादसा हो गया। ब्रिटिश कालीन इस पुराने पुल का गिरना न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर का नुकसान है, बल्कि यह उस लापरवाही की ओर इशारा करता है, जिसे प्रशासन ने पुल की मरम्मत और सुरक्षा के मामले में दिखाया।अगर समय रहते ध्यान दिया गया होता, तो शायद इस बड़े हादसे से बचा जा सकता था। अब, प्रशासन को पुल के गिरने के बाद नए तरीके से इस क्षेत्र की यातायात व्यवस्था और सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

यह पुल ब्रिटिश काल में 1874 में अवध एंड रूहेलखंड लिमिटेड कंपनी द्वारा बनवाया गया था। रेजीडेंट इंजीनियर एस. बी. न्यूटन और असिस्टेंट इंजीनियर ई. वेडगार्ड की देखरेख में आठ सौ मीटर लंबा यह पुल तैयार हुआ था। पुल की आयु 100 वर्ष बताई गई थी, लेकिन यह 150 साल तक खड़ा रहा। इसके बाद पुल की संरचना में गिरावट आनी शुरू हो गई थी।
पुल की संरचना में बड़ी दरारें आने के बाद 5 अप्रैल 2021 को मध्यरात्रि में इसे बंद कर दिया गया। दरारें खासतौर पर पुल की कानपुर तरफ की कोठियों दृ 2, 10, 17 और 22 नंबर की कोठियों में आई थीं। पुल को फिर से चालू करने के लिए दिल्ली से वैज्ञानिकों की एक टीम ने इसकी जांच की थी, जिन्होंने पुल की मरम्मत के लिए 29 करोड़ 50 लाख रुपये की अनुमानित लागत बताई थी। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया, जिसके कारण पुल अब तक बंद रहा।सोमवार रात और मंगलवार सुबह के बीच, पुल का एक हिस्सा अचानक भरभरा कर गिर गया और गंगा नदी में समा गया।

कानपुर और उन्नाव प्रशासन ने इस पुल को बंद करने के बाद दोनों ओर दीवारें बनवाकर सुरक्षा का प्रयास किया था। इसके बावजूद पुल की संरचना में सुधार के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। कानपुर की ओर से पुल को पिकनिक स्पॉट बनाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन यह हादसा उस योजना को भी सवालों के घेरे में डालता है।